राजयोग से आंतरिक शक्तियां जागृत होती है पढ़ाई में सफलता मिलने लगती है-ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

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भारत शासन के द्वारा G20 कार्यक्रम के अंतर्गत Y20 युवाओं के लिए स्वास्थ्य, बेहतर जीवन कार्यक्रम के अंतर्गत

अलीराजपुर ,मध्य प्रदेश। इनर पीस यानी आंतरिक शांति मन की ऐसी अवस्था है, जहां सारी चिंतायें, परेशानियां और नेगेटिव विचार दूर हो जाते हैं। हालात कितने भी मुश्किल हो, आप बिल्कुल विचलित नहीं होते और शांत भाव से अपना काम करते रहते हैं। 

 आंतरिक शांति मिल जाने हम खुद को पहचान जाते हैं आंतरिक शक्तियां जागृत होने लगती है ज्यादा शक्ति बढ़ने लगती है जिससे पढ़ाई में ही नहीं, हर कार्य में सफलता मिलने लगती है ।और एक बार खुद की पहचान कर लेने पर सारे नेगेटिव विचार खुद ही दूर हो जाते हैं। यह विचार इंदौर से पधारे ब्रह्माकुमारीज के राष्ट्रीय वक्ता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने भारत सरकार के G20 के अंतर्गत युवा मंत्रालय के द्वारा युवा के लिए Y20 स्वास्थ्य व बेहतर जीवन एवं खेलकूद कार्यक्रम के अंतर्गत शासकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय बहारपुरा में छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया। आंतरिक शांति यानी इनर पीस एक भावना है जिसे महसूस किया जा सकता है।

आपके किसी कनिष्ट को प्रमोशन मिल गया, तो उसे देखकर मन में ख्याल आने लगा कि बॉस हमेशा उसकी ही तरफदारी करते हैं, मैं ज़्यादा काम करता हूं, तो प्रमोशन मुझे मिलना चाहिये। 

 ऐसे विचारों को मन से निकाल दें और जीवन में जो भी परिस्थितियां आ रही हैं, उसे स्वीकार करते जाइये। फिर मन में किसी तरह का मलाल नहीं रहेगा और मन बिल्कुल स्थिर, शांत बना रहेगा।

खुशियां पल भर की होती हैं, शांति स्थाई:-

कुछ लोगों को लगता है कि ज़िंदगी में कोई खुशी पाना ही शांति है, लेकिन ऐसा नहीं है। नई नौकरी, नया हमसफर, नई गाड़ी और नया घर ये सब तो बस पल भर के लिए आपको खुशियां देते हैं, जबकि मन की शांति तो एक स्थाई भावना है, जो बहुत गहरी होती है और इस भावना का एहसास होने के बाद आपको जीवन में आने-वाले उतार-चढ़ाव से घबराहट नहीं होगी।

*आनेवाले और बीते कल के बारे में न सोचे:-*

 जो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता और भविष्य में क्या होगा ये किसी को पता नहीं है, तो बेकार में बीते कल और आने वाले कल के बारे में अनुमान लगाकर खुद को दुखी करने से क्या फायदा।

यदि पढ़ाई पूरी करने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिली तो, कल प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया तो क्या होगा, जैसे नेगेटिव विचार मन को अशांत बनाते हैं। बीते और आने वाले कल के बारे में सोचना छोड़कर वर्तमान में जियें।

ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने बताया आंतरिक शांति के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप खुद को पहचानें, खुद से प्यार करें। जो इंसान खुद से प्यार नहीं करता, वह कभी पॉज़िटिव नहीं बन सकता। अपनी क्षमताओं और बुद्धि पर भरोसा करें। जब आप खुद पर विश्वास करेंगे तो मन अपने आप शांत हो जायेगा।

 दौलत, शोहरत, नाम सब कुछ पल के लिए ही, सबसे ज़्यादा ज़रूरी चीज़ है मन की शांति, जब तक मन को शांति न मिले सब कुछ बेकार है। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय प्रभारी आचार्य मोनिका वाणी ने बताया कि मैडिटेशन से बच्चों के आंतरिक शक्तियों का विकास होता है ।पढ़ाई के साथ-साथ मेडिटेशन बहुत आवश्यक है जिससे बच्चों के संस्कार में परिवर्तन आता है। कार्यक्रम के अंत में  आंतरिक शांति की अनुभूति हेतु राजयोग की प्रैक्टिस कराई। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय अध्यापक अखिलेश पवार ने किया ।ब्रह्मा कुमार अर्जुन भाई ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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