श्रीनगर गढ़वाल: श्री राम जन्मभूमि अयोध्या धाम के पूज्य संतों का सम्मान समारोह 

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अयोध्या के संत समाज को सम्मान देने के लिए संतों ने बह्माकुमारीज़ का जताया आभार

प्रजापिता बह्माकुमारीज़ ने किया अयोध्या से आए संतों का सम्मान

श्रीनगर( उत्तराखंड)। प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरीय विवि श्रीनगर के तत्वावधान में पहली बार *श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या* से विभिन्न पीठों से पहुंचे पांच मंहतों एवं उनके साथ पहुंचे 70 ब्रह्मचारीयों का श्रीनगर में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। अयोध्या से आये मंहत बद्रीनाथ धाम में आयोजित कथा के लिए श्री बद्रीनाथ धाम  जा रहे है, तो श्रीनगर में प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरी विवि द्वारा संतों का सम्मान किया गया। अयोध्या से आये मंहतों ने श्री क्षेत्र में सम्मान मिलने पर ब्रह्माकुमार  भ्राता रामनाथ जी,ब्रह्माकुमार भ्राता मेहर चंद जी, ब्रह्माकुमार मुकेश भाई जी का आभार प्रकट किया। वहीं संतों के सम्मान में स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। 

 कार्यक्रम में पहुंचे अयोध्या नगरी से *राजा दशरथ चक्रवर्ती राज महल के महंत श्री देवेंद्रप्रसादाचार्य महाराज (बड़े सरकार)* ने कहा कि विश्व शांति एवं मानव जगत में विश्व कल्याण की अलख जगाने के लिए जो काम ईश्वरीय विवि द्वारा किया जा रहा है वह सराहनीय है। उन्होंने श्रीनगर में संत समाज को सम्मान देने पर ईश्वरीय विवि का आभार प्रकट किया। 

*राम जन्म भूमि निर्माण न्यास के पूर्व अध्यक्ष एवं भारत साधु समाज के महामंत्री महंत  जन्मेजय शरण महाराज* ने कहा कि ईश्वरीय शक्ति मिलना मानव के लिए बड़ी बात है। ईश्वरीय शक्ति अदृश्य होकर भी मिलती है। विवि के भाई-बहनों के ताज्ञ और तपस्या का परिणाम है कि लोग आज ईश्वरीय शक्ति की खोज में आगे आ रहे है।

 *जगतगुरु श्री रामदिनेशाचार्य* ने वेद, गीता के मूल तत्वों से अवगत कराते हुए कहा कि जीवन में त्याग होगा तभी शांति होगी। त्याग तपस्या ही शांति का प्रतीक है। 

*महंत अवधेश दास महाराज* ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और यूपी के सीएम भी देवभूमि से है, इसलिए ऐसे योगी जैसे सीएम देने के लिए देवभूमि को नमन करता हूं।  इस मौके पर महंत नागा रामलखन दास ने भी अपने विचार रखे।

*वरदानी भूमि मधुबन से पधारे धार्मिक प्रभाग के कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमार भ्राता रामनाथ भाई जी* ने कहा  कि स्वयं से बात करने के बजाए औरों से बात करना चाहते हैं , कितने जन्मों से हम हर सेकंड शरीर के भान में रहते हैं अब सारे कल्प के अंतिम समय में  पुरुषोत्तम युग में  परमपिता शिव परमात्मा, प्रजापिता  ब्रह्मा के द्वारा राजयोग की शिक्षा से सर्व आत्माओं को  देह अभिमानी से देही अभिमानी बनाने का कार्य कर रहे हैं।

ब्रह्मा कुमार भ्राता मेहरचंद जी निदेशक ब्रह्मा कुमारीज गढ़वाल उत्तराखंड* ने कहा कि ब्रह्मा कुमारीज और सनातन धर्म एक ही है उन्होंने कहा कि मूल सनातन धर्म जिसके कारण भारत विश्व गुरु था उसकी शिक्षा  7 दिवसीय राजयोग मेडिटेशन कोर्स में दी जाती है।

समारोह में पटेल नगर दिल्ली से पधारी ब्रह्माकुमारी राजेश्वरी दीदी जी ने ब्रह्माकुमारी संस्था का परिचय एवं संस्थान के द्वारा किए जा रहे सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यों से सभी को अवगत कराया।

ब्रह्माकुमारी उषा बहन जी ने सभी को राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति करवाई। ब्रह्माकुमारी सरिता बहन जी एवं ब्रह्माकुमारी नीलम बहन जी* ने सभी पूज्य संतों का पगड़ी बैच गुलदस्ता फूल माला आदि पहनकर स्वागत किया। इस सम्मान समारोह को सफल बनाने के लिए ब्रह्मा कुमार मुकेश भाई जी अयोध्या का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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