राजकोट: “समय की मांग…प्राकृतिक खेती बनी आधार” विषय पर किसान सम्मेलन का आयोजन

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राजकोट,गुजरात: ऋषि-मुनियों की भूमि माने जाने वाले हमारे भारत देश में आज हर किसान अधिक कमाई के लोभ में रासायनिक खेती के माध्यम से स्वयं और समाज को पतन की ओर ले जा रहा है। इसके विपरीत, स्वस्थ और मूल्यवान समाज के लिए समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संगठन, ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा  हैप्पी विलेज रिट्रीट सेंटर, त्रंबा के परिसर में आस पास के किसानों के लिए, समय की मांग, प्राकृतिक खेती बनी किसानों का आधार विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर गुजरात ज़ोन निदेशक भारती दीदी, कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग,उपाध्यक्ष राजू भाई (माउंट आबू), ब्रह्माकुमारी गीता बहन ( मुख्य वक्ता –  भीनमाल, राजस्थान) एवं कृषि विश्वविद्यालय के डाॅ. वी. एन. पटेल (डीन- आर.के. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी), प्रवीणाबेन रंगानी (अध्यक्ष- राजकोट जिला पंचायत) , आर.के. बोघरा (उप निदेशक – बागवानी) एवं अन्य अतिथियों तथा राजकोट जिले के गांवों के सरपंचों ने दीप प्रज्वलित किया।कुमारी विहा, पवित्रा, माही ने सभी का तिलक एवं फूलों से स्वागत किया और गांवों में आध्यात्मिक क्रांति लाने तथा गोकुल ग्राम बनाने का सुंदर संदेश दिया।

किसानों को संबोधित करते हुए राजस्थान से पहुंची गीताबेन ने कहा कि वर्तमान रासायनिक भोजन मानव शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रदूषित कर रहा है।  हम फसलों के साथ जहर भी उगा रहे हैं, इसका समाधान है – एक मजबूत मन, स्वदेशी गाय आधारित कृषि, और योगी जीवन से होगा।

माउंट आबू से पधारे राजू भाई ने ब्रह्माकुमारीज ग्राम विकास प्रभाग द्वारा 2008 से चलाये जा रहे शाश्वत यौगिक खेती प्रोजेक्ट पर प्रकाश डालते हुए हर किसान की सोच श्रेष्ठ, चरित्र ऊंचा और व्यवहार  में  शुद्धिकरण के साथ साथ राजयोग के अभ्यास से  फसल निर्माण  को सुरक्षित एवं पौष्टिक बनाने का निवेदन किया।
राजयोगिनी भारती दीदी ने ओम शांति के महामंत्र का अर्थ बताया कि यह हमारे स्वरूप और गुणों का प्रतीक है, शांति सभी को प्रिय है।

कृषि जगत से जुड़े सभी माननीय अनुभवी वक्ताओं ने भी प्राकृतिक खेती के साथ-साथ यौगिक खेती की अवधारणा पर सहमति व्यक्त करते हुए अपना आभार व्यक्त किया।

रामजीभाई शेल्डिया ने यौगिक खेती का प्रेरक अनुभव व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों से राजयोग के अभ्यास से उनके जीवन में अनोखा सकारात्मक परिवर्तन आया है।

इस कार्यक्रम के द्वारा लगभग 500 से अधिक सरपंच एवं कृषि क्षेत्र से जुड़े भाई तथा किसान लाभान्वित हुए जिन्होंने प्रभु प्रसाद भी ग्रहण किया।

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