मंडी डबावली: नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय सर्व समस्या का मूल कारण — भगवान भाई

0
182

मंडी डबावली (हरियाणा):

नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय सर्व समस्या का मूल कारण है। इसलिए विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों एवं उच्च आदर्शों से आत्मविश्वास व आत्मचेतना मजबूत होती है | उसके अंदर सच्चाई का बोलबाला होता है | उसमे समस्या के समाधान के लिए सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता होती है | उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते। नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता हैउक्त उदगार माउंट आबू से पधारे हुए बी के भगवान भाई जी ने कहे | आर्य समाज  सीनियर सेकंडरी स्कुल में जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर बोल रहे थे |

उन्होंने कहा कि समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है। नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। नैतिक शिक्षा से ही सदगुणों का विकास होता  है | नैतिक शिक्षा  बच्चों को संस्कारों से जोड़ती है | उन्हें उनके कर्तव्यों का ज्ञान कराती है | परिवार, समाज, समूह के नैतिक मूल्यों को स्वीकारना तथा सामाजिक रीति – रिवाजों, परम्पराओं व धर्मों का पालन करना सिखाती है |

स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की संचालिका बी के कमलेश बहन जी ने कहा कि जिन बच्चों को बचपन से ही सच बोलना, सहयोग करना, दया करना, निष्पक्षता, आज्ञापालन, राष्ट्रीयता, समयबद्धता, सहिष्णुता, करुणा, आदि मानवीय गुणों को सिखाते है उन्हीं बच्चों में बाद में चलकर ये ही गुण पुष्पित, पल्लवित, व विकसित होकर चरित्र निर्माण में सहायक होते है |

स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र के तरफ से बी के बलजीत सिंह भाई जी  ने सभी को राजयोग सेवाकेंद्र पर आकर नैतिक शिक्षा सिखने का निमंत्र्ण दिया |

प्रिंसिपल रीठा नागपाल जी ने बताया की बचपन से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने से उन्हें भले – बुरे, उचित – अनुचित का ज्ञान हो जाता है | वह समझने लगता है कि कौन सा व्यवहार सामाजिक है और कौन सा व्यवहार असामाजिक | किन व्यवहारों को करने से समाज में प्रतिष्ठा, प्रंशसा एवं लोकप्रियता मिलती है और किससे नहीं |

सीनियर शिक्षक सुरेश कुमार सोनी जी ने कहा कि केवल भौतिक शिक्षा से  जीवन की   समस्या का  मुकाबला नहीं कर सकते। चरित्र उत्थान और आंतरिक शक्तियों के विकास के लिए आचार संहिता जरूरी है।

इस मोके पर  सभी शिक्षक स्टाफ उपस्थित था |

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें