इस संसार का एक भी प्राणी सत्यता के साथ पूरे निश्चय से ये नहीं कह सकता कि मैंने परमात्मा को देखा है, उनसे मिलन मनाया है, उनकी पालना ली है। लेकिन हम ये पूरे निश्चय, दृढ़ विश्वास और साक्ष्य के साथ कह सकते हैं कि हमने उसे देखा भी है, उनकी पालना भी ली है, और उनके गोद के अतीन्द्रिय सुख के झूले में भी हम झूले। हम और हमारे जैसी लाखों आत्मायें इस सुख से भरपूर मिलन का आनंद ले रही हैं… ये दृश्य सिर्फ अरावली श्रृंखला में स्थित आबू पर्वत पर ही देखने को मिलता है। अगर आप भी सच में उनसे मिलना चाहते हैं! तो बस एक कदम आगे बढ़ायें। वहीं आपकी उनसे मुलाकात होगी।
ये आपके लिए आश्चर्य तो होगा ही, लेकिन हमने ये देखा अपनी नज़रों से। अब वे कैसे मना रहे थे मिलन, ये तो एक अनोखी ही विधि है। क्योंकि परमात्मा निराकार है और निराकार परमात्मा से मिलन मनाना, अर्थात् उन जैसा हमें भी निराकार होना पड़े। क्योंकि समानता से ही मिलन होता है। जैसे कहा जाता है, क्रजैसा बाप वैसा बेटाञ्ज, तो हमारे पिता परमात्मा शिव का रूप ज्योतिर्बिन्दु निराकार, तो हमारा भी रूप ज्योतिस्वरूप ही होगा ना! ज्योत से ज्योत जलेगी ना! और अज्ञान अंधियारा मिटेगा।
जब किसी का बच्चा विदेश में पढ़ता है, और उसके पिता को जब अपने बच्चे से मिलना होता है तो वो किस चीज़ का सहारा लेता है, वायरलेस कनेक्शन या क्रबेतार का तारञ्ज। इसका मतलब है कि किसी से भी अगर हमको स्थूल में भी बात करनी हो तो उसके लिए भी हमें थोड़ा सूक्ष्म बनना पड़ता है। वैसे ही यदि परमात्मा से मिलन मनाना है या सम्बन्ध जोडऩा है, तो हमें भी अपने मन के तार को उसके साथ जोडऩा होगा।
वास्तव में देखा जाए तो मनुष्य का सीधा तारतम्य क्रमनञ्ज से है। मन ही तो मिलन मनायेगा ना! ऐसा ही सुंदर मिलन हमने देखा भी, मनाया भी और मनाते हुए अनेक जिज्ञासुओं को देखा। इस मिलन में और कुछ नहीं, सिर्फ मन और दिल से ही मिलन मनाया जाता है। जब मन को वास्तव में जो चाहिए था वो मिल जाता, तब वो सुकून महसूस करता है और खुशियों में झूम उठता है। तब गीत गाने लगता, क्रपाना था सो पा लिया, अब ना रहा कुछ बाकी…ञ्ज ये हमने अपनी आँखों से देखा व सुकून पाया। ये ऐसा सुंदर अलौकिक मिलन इस धरा पर हो रहा है। तो आपका मन उनके मिलन के लिए लालायित नहीं है! आखिर वो आपका भी तो पिता है ना! जिसे पाने के लिए ही तो आप उसे पूजते रहे, पुकारते रहे, पहाड़ों-कन्दराओं में ढूंढते रहे।
तो आइये, आपको हम बताते हैं उनकी मिलन भूमि के बारे में। ऐसे सुंदर मिलन की धरनी आबू अरावली पर्वत है, जहाँ उस अलौकिक मिलन की महफिल लगती रहती है। आप भी इस महफिल में शामिल होना चाहेंगे ना! तो अब देर किस बात की! आयें और इस महफिल में शामिल हो जायें और अपने उस प्राण प्राणेश्वर के सच्चे आशिक बनकर उसको अपने दिल में बसा लें और उनसे मिलन का आनंद लें।