पुणे,महाराष्ट्र: आजादी के अमृतमहोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर”इस कार्यक्रम के अंतर्गत *ब्रह्माकुमारी रविवार पेठ, शाखा के रजत महोत्सावी वर्ष के निमित्त मकर संक्रान्ति के अवसर “मकर संक्रान्ति श्रेष्ठ विचारोकी क्रांति” इस विषय पर महिलाओ के लिए हल्दी कुमकुम समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात गणमान्य अतिथीयो द्वारा दीप प्रज्वलनकर ईश्वरीय स्मृति से हुई|
इस अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रोहिणी दीदी ने कहा कि मकर संक्रांति उत्सव मनाने के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्य है, जिससे मानव अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को उत्साह एवं खुशी में रखता है और मनोरंजन का आधार बना लेता है। कलियुग का अंत कर सतयुगी दुनिया में पवित्र आत्माओं को प्रवेश कराने हेतु परमपिता स्वयंप्रभा परमात्मा इस धरा पर अवतीर्ण हुए है।
मकर संक्राति अथवा तिल संक्राति विशेष कर नया अन्न ग्रहण करने का यादगार दिन है। प्रभु प्रेमी इस दिन दान-पुण्य कर प्रेम से एक दूसरे के साथ मिलन भी मनाते हैं। तिल, गुड़ प्रचलन खाने में होता है जो शरीर को स्वस्थ्य रखने का भी एक आधार बन जाता है। मकर संक्रान्ति के समय परमपिता परमात्मा परम शिक्षक, परम सद्गुरू शिव परमात्मा का दिव्य अवतरण होता है। वे ज्ञान प्रकाश से अज्ञान अंधकार अर्थात दु:ख क्लेश, अशांत जीवन को परिवर्तन कराते हैं। सूर्य का कर्क रेखा से मकर रेखा अधवा उत्तरायण में प्रवेश मानव जीवन में परिवर्तन और विश्व परिवर्तन का आधार बनता है और यह परिवर्तन का प्रतीक है।
इस अवसर पर प्रमुख अतिथि डॉ. विनिता केतकर (फाउंडर जिनोसिस मेडिकल योगा) उपस्थित थे। इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। सभी उपस्थित को ईश्वरीय सौगात और प्रसाद दिया गया|