नागरकोइल: चरित्रवान युवा समाज और देश की नीव है -भगवान भाई

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 नूरुल इस्लाम यूनिवर्सिटी में बी के भगवान भाई जी मिला निमन्त्रण

कन्याकुमारी (नागरकोइल):

युवाओं के लिए शिक्षा के महत्व को समझते हुए स्वामी विवेकानंद कहते थे कि युवाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि युवा सिंह की भांति सभी समस्याओं से लड़ सकते हैं। चरित्रवान , गुणवान युवा समाज और देश की नीव है | उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज  के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई जी ने कहे | वे नूरुल इस्लाम यूनिवर्सिटी में नैतिक शिक्षा और सकारात्मकता से सशक्त युवा विषय पर बोल रहे थे |  

उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते है | युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करके डॉक्टर, इंजीनियर बनकर धनोपार्जन कर सुख-सुविधा युक्त जीवन निर्वाह करना चाहते हैं, परंतु जब उनका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाता | नैतिक शिक्षा से युवाओं को दिशा मिल सकती है | भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वागिंण विकास होगा |

भगवान भाई जी ने कहा कि वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करके, हम अपने नकारात्मक विचारों को हम पर हावी होने से रोक सकते हैं। आशावादी और सकारात्मक विचारों से खुशहाल जीवन जी सकते है | नकारात्मकता के अधिकांश स्रोत किसी बीती घटना की स्मृति या संभावित भविष्य की घटना की अतिरंजित कल्पना से उत्पन्न होते हैं। इसलिए, वर्तमान क्षण में रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार ही  वर्तमान के युवाओं के  अनेक समस्याओं का कारण बनते जा रहे है । मन के नकारात्मक विचारों से ही वर्तमान में तनाव उत्पन्न होता है | तनाव पूर्ण युवा नशा , डिप्रेशन , टेशन के वश होता जा रहा है | वह शारीरिक , मानसिक और  सामाजिक रूप से कमजोर बनाता जा रहा है | युवाओं के द्वारा अपराध होते जा रहे | इसलिए वर्तमान में युवाओं को तनाव से मुक्ति के लिए नैतिक शिक्षा और सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है जिससे युवा सशक्त बन सके ।

मिस्टर सुब्बिह पोलिस अधीक्षिक जी ने कहा की वास्तव में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता। उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान जगा देती है।

डॉ. पेरुमालसमय जी ने कहा कि स्वामी जी ने जो कुछ भी लिखा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा वह आने वाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करता रहेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। भारत की युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाएगी।

डॉ . थिरुमाल्वालावन  जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का सिर्फ 39 वर्ष का जीवनकाल कई मायनों में आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि हर युवा राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकता है। ऐसे में युवाओं को अपने सामर्थ्य का उचित प्रयोग करना चाहिए।

श्रीमती यांचेन डोमा भूटिया IPS अधिकारी  जी ने कहा कि  युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद कहते थे, “अपनी आरामदायक (कंफर्ट जोन) से बाहर निकलो और अपने उद्देश्यों की प्राप्त के लिए प्रयास करके उसे प्राप्त करो उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”

डॉ सविता जी ने कहा कि स्वतंत्र होने का साहस करो, जहां तक तुम्हारे विचार जाते हैं. वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो.

मिस्टर रेंगनाथन जी सभी का स्वागत किया |

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