गाडरवाड़ा: महाशिवरात्रि व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर्षोल्लास  के साथ मनाया गया

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गाडरवाड़ा,मध्य प्रदेश। प्रभु उपवन भवन लक्ष्मी टाउन शिप ब्रह्माकुमारीज  द्वारा महिला दिवस व महा शिवरात्रि पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।नरसिंहपुर संचालिका आदरणीय ब्रह्माकुमारी कुसुम दीदी की गरिमा मई उपस्थित में स्वयं भू परमात्मा शिव का पूजन अर्चन आरती करते हुए  कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।। पधारे हुए मेहमानों का तिलक, पुष्प गुच्छ ,बैज व माला पहना कर स्वागत सत्कार किया गया। मुख्य अतिथि महिला शक्ति श्रीमती शिरोमणी चौधरी भीजेपी विधान सभा प्रभारी NTPC सांसद प्रतिनिधि, डॉ.पूनम बोहरे, सपना जैन गौशाला प्रमुख संचालक, आरती राजपूत NGO संचालक सनातन धर्म नारी शक्ति, एमविशन ऐरा पब्लिक स्कूल बनवारी,लक्ष्मी काबरा सचिव महेश्वरी भक्ति  मंडल, मंजु गुप्ता लीनेश क्लब की अध्यक्षा, गाडरवाड़ा सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी सभी ने मिलकर  दीप प्रज्वलित किये। स्वागत श्रृंखला में नन्हे मुन्ने बाल कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई। परमात्मा की सत्य खोज पर आधारित लघुनाटिका से सत्यम शिवम सुन्दरम के ज्योतिर्लिंग रूप में अंकित बिंदु रूप परमात्मा जो ज्योति स्वरूप है का परिचय कराया गया।।

ब्रह्माकुमारी कुसुम दीदी ने महिला दिवस व महाशिवरात्रि की अनन्त शुभकामनाएं देते हुए अपने व्याख्यान में बतलाया कि नारी प्राचीन काल से ही श्रेष्ठ मानी गई है। “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” जहाँ नारी का सम्मान होता वहां देवता वास करते है। प्राचीन काल से कमाई पुरूष करते आ रहे किंतु धन लक्ष्मी से मांगा जाता है। शक्तिशाली पुरुष होते किंतु शक्ति मां दुर्गा से मांगते, प्राचीन काल मे नारी को शिक्षा का अधिकार नहीं था परंतु फिर भी विद्या माँ सरस्वती से मांगते है। आज समूचे विश्व मे महिलाएं अपना परचम चहुँओर फहरा चुकी है । नारी को आज भी बच्चे का प्रथम गुरु माना जाता है। बच्चे में संस्कारों का बीजा रूपण माँ ही करती है। एक माँ का दर्जा संसार में सबसे ऊंचा है । नारी ही दुर्गा लक्ष्मी काली सरस्वती है और भारत मे दो ही त्यौहार है जो रात्रि को मनाए जाते है एक नवरात्रि दूसरा शिवरात्रि नवरात्रि में नारी के अष्ट स्वरूपों अर्थात शिवशक्ति की पूजा होती है ।  शिवरात्रि शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है जो कि घोर अंधकार का प्रतीक है। रात्रि शब्द अंधकार का प्रतीक है जब संसार मे अज्ञान अंधकार फैल जाता है तब परमप्रिय परमात्मा देवो के देव सर्व धर्म गुरुओं के परम सद्गुरु एक मात्र सद्गति दाता परमात्मा शिव के अवतरण दिवस पर का यादगार पर्व महाशिवरात्रि है। जिसमे रात्रि जागरण – अज्ञान नींद से जागने का प्रतीक है। अक, धतूरे, खट्टे बैर विषय विकारों के प्रतीक है, बकरे की बली अर्थात मैं पन देहभान को त्यागने का प्रतीक है। बेल पत्र के तीन पत्ते और त्रिपुंड की तीन धारिया त्रिदेव के प्रतीक है। परमात्मा अर्थात परम् + आत्मा । प –  पालन बिष्णु द्वारा  र – रचना ब्रह्मा द्वारा, म – महाविनाश शंकर द्वारा इन तीन परम् कर्तव्य के कारण इनका नाम परमात्मा पड़ा है। परमात्मा से सम्बंध कैसे जोड़े उसकी विधि सेवाकेंद्र पर सिखाई जाती है। ब्रह्माकुमारीज विश्व की पहली संस्थान है जो महिलाओं द्वारा संचालित है। संस्थान में लाखों महिलाएं है जो शुद्ध सात्विक जीवन जी रही जिन्होंने मानव सेवा के लिए शिव भोलेनाथ पर अपना जीवन समर्पित किया हुआ है। महिलाओं ने मिलकर दीदी जी का साल उड़ा कर सम्मान किया।। सभी मेहमानों ने भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए संस्थान के कार्यो की प्रशंसा की।

बी.के.प्रीति दीदी ने राजयोग का अभ्यास करवाया। परमपिता शिव परमात्मा के अवतरण दिवस निमित्त 88 वा बर्थडे केक कटिंग किया गया।

सभी मेहमानों को ईश्वरीय सौगात भेंट की गई तथा अंत मे सभी ने ब्रह्माभोजन किया । इस मौके पर भाईयो के अलावा सैकड़ो की संख्या में मातृशक्ति उपस्थित रही था ।

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