रीवा: भगवत गीता का अद्भुत रहस्य में ज्ञान सुनने हेतु अनेक विद्वान, जनप्रतिनिधि और जिले भर के गणमान्य नागरिक भारी तादाद में पहुंचे

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 *श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का पांचवां दिन*   

*वर्तमान समय ही परमात्मा प्राप्ति का समय- ब्रह्माकुमारी भारती

 भगवत गीता का अद्भुत रहस्य में ज्ञान सुनने हेतु पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विधायक देवतालाब श्री गिरीश गौतम एवं सिरमौर विधायक युवराज श्री दिव्यराज सिंह ,मानस विदुषी श्रीमती ज्ञानवती अवस्थी, सुभाष बाबू पांडे सहित अनेक विद्वान, जनप्रतिनिधि और जिले भर के गणमान्य नागरिकभारी तादाद में मानस भवन रीवा पधारे।

रीवा (मध्य प्रदेश): “श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ दोपहर 03 बजे से शाम 06 बजे तक रखा गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है। राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी भारती दीदी जी आपने अपने उदबोधन की शुरुआत में यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…. का अर्थ बताते हुए कहा कि यह धर्म ग्लानि का ही समय चल रहा है जब भगवान का इस धरती पर अवतरण होता है। और वे इस धरती पर अवतरित होकर एक सत्य धर्म की स्थापना करते हैं।राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी भारती दीदी जी ने अपनी उद्बोधन में कहा कि सृष्टि की रचना व उत्पत्ति के प्रसंग में यह महत्वपूर्ण तथ्य है की संसार में कोई भी रचना व उत्पत्ति बिना कर्त्ता के नहीं होती। कर्त्ता को अपने कार्य का पूर्ण ज्ञान होने के साथ उसको सम्पादित करने के लिए पर्याप्त शक्ति व् बल भी होना चाहिए।यह सृष्टि एक कर्ता जो ज्ञान व बल से युक्त है उसी से बनी है क्या संसार में कोई अदृध्या सत्ता ऐसी हो सकती जिससे यह सृष्टि बनी है इस पर विचार करने पर हमारा ध्यान स्वयं अपनी आत्मा की ओर जाता है हम एक ज्ञानवान चेतन है जो शक्ति व् बल से युक्त है हमने स्वयं को आज तक नहीं देखा हम जो इस शरीर में रहते है व् इस शरीर के द्वारा अनेक कार्यो को सम्पादित करते है वह आकार,रंग व रूप में कैसा भी हो हम अपने को ही क्यों ले हम अन्य असंख्य प्राणियों को भी देखते है परन्तु उनके शरीर ही अनुमान करते है की इनके शरीर में एक जीवात्मा है जिसके कारण इनका शरीर कार्य कर रहा है। इस जीवात्मा के माता के गर्भ में शरीर से संयुक्त होने और संसार में आने पर जन्म होता है जिस चेतन जीवात्मा के निकल जाने पर ही यह शरीर का मृतक का शव कहलाता है हम यह भी जानते है कि सभी प्राणियों के शरीर में रहने वाला जीवात्मा आकार में अत्यंत अल्प परिणाम वाला है। अतः संसार में हमारी इस आत्मा की ही भांति जीवात्मा से सर्वथा भिन्न एक अन्य शक्ति,निराकार स्वरूप और आनंद व सुखोसे युक्त ज्ञान बल-शक्ति की पराकाष्ठा से परिपूर्ण ईश्वर व परमात्मा है।

जिस प्रकार रात-दिन का, ऋतुओं का, जीवन की अवस्थाओं का चक्र होता है उसी प्रकार समय का चक्र चलता है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। चक्र के अनुसार कलयुग के बाद सतयुग जरूर आना है। वर्तमान समय पुरूषोत्तम संगमयुग का समय चल रहा है जिसमें आत्मा अपने परमपिता परमात्मा की याद से पूर्व जन्मों के पापकर्म को खत्म करके सतयुगी सुख-शांति से संपन्न दुनिया में जाने का पुरूषार्थ करने का समय होता है। कार्यक्रम के अंत में सतयुग त्रेता युग द्वापर युग और कलयुग के साथ संगम युग को प्रदर्शित करने के लिए एक सजीव झांकी का चित्रण किया गया और उसके मनोभावों को बीके बिंदु बहन ने नृत्य और सुप्रसिद्ध गायक नीलेश श्रीवास्तव जी ने गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में आरती करने के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम विधायक देवतालाब एवं सिरमौर विधायक युवराज युवराज सिंह जी मानस विदुषी श्रीमती ज्ञानवती अवस्थी सुभाष बाबू पांडे अधिवक्ता सती प्रभात सिंह, रब द्विवेदी डॉक्टर एसके श्रीवास्तव डॉक्टर विकास श्रीवास्तव, डीएस मिश्रा डीएस मिश्रा सहित जिले भर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे इसके बाद रीवा के जनमानस की ओर से विंध्य क्षेत्र की पावन धारा की ओर से मानस मंडल के अध्यक्ष सुभाष बाबू पांडे एवं पूरी कार्यकारिणी और गण मान्य लोगों ने दीदी तपस्विनी गीता ज्ञान की गीता शिरोमणि राजयोगिनी भारती दीदी का अभिनंदन शाल श्रीफल के द्वारा किया और प्रतिवर्ष रीवा में ज्ञान की गंगा बहाने का विशेष अनुरोध किया जिसे आदरणीय भारती दीदी ने सहर्ष स्वीकार किया।

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