– दादी जानकी की गणना विश्व के दस प्रमुख बुद्धीजिवियों में होती थी… सविता दीदी
– दादी जानकी जी को मोस्ट स्टेबल माईण्ड इन द वर्ल्ड का खिताब मिला था…
रायपुर (छ.ग.) : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी जी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्घाजंलि दी गई। विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर में आयोजित समारोह में रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इस अवसर पर दादी जानकी का श्रद्घापूर्वक पुण्य स्मरण करते हुए ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि वह ब्रह्माकुमारी संस्थान के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं। दादी जी विश्व के उन दस प्रमुख बुद्धीजिवियों (Keepers of Wisdom) में शामिल थी जिन्हें वर्ष 1992 में रियो-डि-जेनरियो में सम्पन्न प्रथम पृथ्वी महासम्मेलन (First Earth Summit) में विश्व के प्रमुख नेताओं का मार्गदर्शन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनोनीत किया गया था। भारत देश से सिर्फ दो लोगों को यह सौभाग्य मिला था जिनमें से एक दादी जानकी और दूसरे बौद्घ धर्मगुरू दलाई लामा थे।
उन्होंने आगे बतलाया कि दादी जी ने राजयोग की अपनी उपलब्धियों से दुनिया के वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया था। आस्ट्रेलिया की युनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न, अमेरिका की युनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, सेनफ्रान्सिस्को की युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया जैसी प्रख्यात संस्थाओं ने वैज्ञानिक परीक्षण में देखा कि परस्पर वार्तालाप करते हुए तथा गणितीय प्रश्नों का समाधान करते हुए भी दादी जी के मस्तिष्क से हमेशा डेल्टा तरंगें ही प्रवाहित होती हैं। जबकि सामान्यत: गहन विश्राम अथवा निद्रा की अवस्था में ही डेल्टा तरंगे (सबसे धीमी तरंगे Slowest Brain Waves) निकलती हैं।
इस प्रकार का परीक्षण वैज्ञानिकों ने विभिन्न योगियों के साथ किया किन्तु कहीं पर भी ऐसा अद्भुत परिणाम देखने को नहीं मिला। फलस्वरूप वैज्ञानिकों ने उन्हें सर्वाधिक स्थिर चित्त महिला अर्थात मोस्ट स्टेबल माईण्ड इन द वर्ल्ड (Most stable mind in the world) घोषित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने अंग्रेजी का ज्ञान नही होने के बावजूद लन्दन में रहकर विदेश में संस्थान की सेवाओं का विस्तार किया। उन्हीं के सद्प्रयासों से आज ब्रह्माकुमारी संस्थान की शाखाएं विश्व के 140 देशों में कार्यरत हैं।