आबू रोड: दस दिवसीय थ्रीडी कैड प्रोग्राम शुरू, देशभर से पहुंचे हृदयरोगी

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यहां हृदय रोगियों को कहा जाता है दिलवाले
– दस दिवसीय थ्रीडी कैड प्रोग्राम शुरू, देशभर से पहुंचे हृदयरोगी
– कैड प्रोग्राम से ट्रेनिंग लेकर अब तक हजारों हृदयरोगी हुए ठीक
व्यायाम, संतुलित भोजन का महत्व और राजयोग मेडिटेशन सिखाया जाता है
– कई मरीजों के 90 फीसदी तक ब्लॉकेज खुले, एंजियोग्राफी की जरूरत नहीं पड़ी
– मेडिटेशन में छिपा है हर मर्ज का इलाज

आबू रोड,राजस्थान। जैसा मन-वैसा तन- इस महावाक्य पर वर्षों तक शोध और रिसर्च कर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मेडिकल प्रभाग ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे डॉक्टर भी अचंभित हैं। इसे थ्री डायमेंशल हेल्थ केयर प्रोग्राम फॉर हेल्दी माइंड, हार्ट एवं बॉडी (कैड) प्रोग्राम नाम दिया गया। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मेडिकल विंग के तहत संचालित थ्रीडी कैड प्रोग्राम के दस दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ मनमोहिनीवन परिसर के ग्लोबल ऑडिटोरियम में किया गया।

शुभारंभ पर ग्लोबल हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. बीके प्रताप मिड्‌डा ने कहा कि आप सभी प्रशिक्षाणार्थी दस दिन तक ट्रेनिंग में बताई जा रहीं बातों को पूर्णत: पालन करेंगे तो पूरा जीवन स्वस्थ रहकर बिताया जा सकता है। यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद एक नहीं बल्कि हजारों ऐसे लोग हैं जिनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।

कैड प्रोजेक्ट के को-ऑर्डिनेटर व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश गुप्ता ने बताया कि विभिन्न शोध में पाया गया है कि 95 फीसदी बीमारियों का कारण हमारा मन है। मेडिकल साइंस ने शरीर की बीमारियों का इलाज तो खोज लिया है लेकिन मन की बीमारियों का अभी तक कोई इलाज संभव नहीं हो पाया है। सिर्फ मेडिटेशन से ही मन के सभी प्रकार के रोगों का उपचार संभव है। सबसे मन में तनाव उत्पन्न होता है, जिससे शरीर में बीमारी आती है। मन की बीमारियों जैसे- जल्दबाजी, चिंता, गुस्सा, डर (डिप्रेशन), हाईपरटेंशन, जल्दी में रहना, असंतोष, नकारात्मक विचार से मन बीमार हो जाता है। जैसे मन में विचार होते हैं वैसा ही इनका शरीर पर प्रभाव पड़ता है। धीरे-धीरे यह शरीर में विकृति (बीमारी) का कारण बनते हैं। इन सभी मानसिक विकृतियों का मुख्य कारण गलत जीवनशैली है। आध्यात्मिकता में रिसर्च कर इस पद्धति का विकास किया है, जो ह्रदय एवं डायबिटीज के रोगियों के लिए वरदान साबित हुई है। इसका उद्देश्य हृदय रोगियों को बिना बायपास सर्जरी और ऑपरेशन के ठीक करना है। 1998 में शुरू किए गए इस थ्रीडी प्रोग्राम में प्रशिक्षण लेकर अब तक करीब 12 हजार से अधिक हृदय रोगी ठीक हो चुके हैं।

90 फीसदी तक ब्लॉकेज हो गए सामान्य-
इस प्रशिक्षण के दौरान और मरीज के ठीक होने तक इन सभी को दिलवाले के नाम से पुकारा जाता है। यही कारण है कि मेडिटेशन, संतुलित व सात्विक आहार, व्यायाम और प्रशिक्षण से हजारों हृदय रोगियों का दिल फिर से सामान्य लोगों की तरह धड़कने लगा है। सैकड़ों ऐसे लोग हैं जिन्हें हार्ट में 90 फीसदी तक ब्लॉकेज हो चुके थे और डॉक्टर्स ने बायपास सर्जरी कराने की सलाह दी थी लेकिन कैड प्रोग्राम में प्रशिक्षण लेने के बाद आज वह स्वस्थ जीवनशैली जी रहे हैं। बायपास की भी जरूरत नहीं पड़ी और ब्लॉकेज भी सामान्य हो गए हैं। इस मौके पर वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके डॉ. सविदा दीदी ने सभी को राजयोग मेडिटेशन का महत्व बताया। बीके युगरतन ने गीत प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण बीके बाला बहन ने दिया। अजमेर सबजोन की निदेशिका बीके शांता दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

क्या है कैड प्रोग्राम-
ग्लोबल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर माउण्ट आबू, रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद एवं स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से फरवरी 1998 में सीएडी रिसर्च प्रोजेक्ट (थ्री डायमेंशल हेल्थ केयर प्रोग्राम फॉर हेल्दी माइंड, हार्ट एवं बॉडी) की नींव रखी गई। इसके तहत विभिन्न राज्यों से एंजियोग्राफी द्वारा प्रमाणित ह्रदय रोगियों पर राजयोग मेडिटेशन द्वारा आत्मा और मन का स्वास्थ्य, शुद्ध सात्विक आहार, सुबह सैर, रात्रि 10 बजे सोना और प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में उठना, ध्रूमपान एवं मद्यपान निषेद्य और उचित दवाइयां युक्त स्वास्थ्य जीवनशैली का प्रयोग किया गया।

फैक्ट- 12 हजार हृदय रोगी अब तक ठीक हुए
1998 में की गई थी कैड प्रोग्राम की शुरुआत

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प्रशिक्षण में तीन बातों पर रहता है –
पहला: मेडिटेशन- इस प्रशिक्षण में आबू रोड आने वाले प्रत्येक मरीज के लिए सबसे पहले राजयोग मेडिटेशन का प्रशिक्षण दिया जाता है। सभी को ब्रह्ममुहूर्त में 4 बजे उठना कमपलसरी होता है। इस दौरान गाइड मेडिटेशन करने के लिए विचार देते हैं और उसी अनुसार मरीज उसे फॉलो करते हुए मन ही मन में उसे विजुलाइज करते हैं।
दूसरा: हेल्दी भोजन- कैड प्रोग्राम में मरीज के लिए संतुलित और हेल्दी डाइट दी जाती है। सुबह, दोपहर और रात के भोजन का एक तय मीनू रहता है। कब, क्या और कितना ग्रहण करना है, यह सब तय होता है। खासतौर पर सलाद और अंकुरित अनाज को शामिल किया जाता है।
तीसरा: व्यायाम- सभी प्रशिक्षाणर्थियों के लिए रोज सुबह व्यायाम, तेज पैदल चलना कमपलसरी रहता है। जो मरीज पहले दिन आते हैं और आधा किमी पैदल नहीं चल पाते थे वह दस दिन के प्रशिक्षण में ही पांच किमी तक पैदल चलने लगते हैं।


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