इज़ाद करें निज़ात पायें… इसका उदाहरण जब दुनिया में चूहों का आतंक फैला, लोग बहुत परेशान हुए, चारों तरफ वे नुकसान कर रहे थे। तो उसी समय कुछ कंपनियों ने चूहे से बचाने वाली, चूहे को मारने वाली दवाइयां बनाई। उसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाई। ना कि ये सोचने में समय बिताया कि हाय हम क्या करें! ये तो इतना नुकसान हो रहा है। तो एक समस्या पैदा हुई तो एक अवसर भी पैदा हुआ। उससे लोगों को जॉब भी मिली और रोजगार के अन्य साधन भी निकले। अब चूहे न होते तो उनको पकडऩे के लिए चूहेदानी कौन बनाता। तो चूहेदानी लाने का आधार चूहा बना।
तो हर एक समस्या अपने साथ एक अवसर लाती है। बस हमें बैठकर अच्छे मन से उस समस्या को देखना है और उसमें अवसर को तलाशना है। पूरा समाज घबराने के मूड में होता है लेकिन समस्या लाने का आधार भी समाज ही है। और समाज की सबसे छोटी यूनिट या इकाई एक मनुष्य है। हमने पूरे विश्व में देखा है कि जब भी कोई ऐसा कुछ भी आतंक, कोई बीमारी या महामारी फैली तो उससे अवसर भी मिले, रोजगार भी मिले, आर्थिक सामाजिक पैनापन भी आया, जागृति भी बढ़ी तो कितना कुछ हम उसमें से इज़ाद कर सकते हैं ये हमारे ऊपर है।