अम्बिकापुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चोपड़ापारा में मातृत्व शक्ति दिवस बहुत ही सम्मान और भाव पूर्ण रीति से मनाया गया

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अम्बिकापुर,छत्तीसगढ़: माँ ये एक शब्द नहीं, किंतु एक गुण है। जिसमें सारे गुण और शक्तियाँ समाहित है। माँ जिसमें करूणा, प्रेम, दया, जैसे श्रेष्ठ गुण समाये हुये है। माँ केवल कोई एक किरदार नहीं किंतु हर आत्मा के अंदर ये गुण छिपे हुये है इसलिये कहा जाता है कि माँ भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है, उसके जितना त्याग और प्यार कोई कर नहीं कर सकताा है। माँ विश्व की जननी है उसके बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती है। दुनिया में माँ के समान कोई रक्षक नहीं और उनके समान कोई प्रिय भी नहीं। माँ के इसी बलिदान और त्याग को याद करते हुये प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर में मातृत्व शक्ति दिवस बहुत ही सम्मान और भाव पूर्ण रीति से  मनाया गया।
इस शुभ अवसर पर सूरजपुर की अपर कलेक्टर बहन नैनतारा जी ने कहा कि माँ हमारे लिये बहुत महत्वपूर्ण होती है उसके बिना हमारा जीवन अधुरा होता है, क्योंकि हमको इस धरती पर लाने वाली माँ ही होती है इसलिये हमेषा माँ का आदर और सम्मान करना चाहिये। माँ का आदर और सम्मान तभी सम्भव है जब बच्चों की स्वस्थिति मजबूत होगी। आगे उन्होंने बच्चों को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपनी स्वस्थिति बनाने के लिये हमें अपने अन्दर के मौलिक सातों गुणों आत्मसात कर, पाँच विकारों को छोड़ना पडे़गा। इसी बाल अवस्था में प्रतिदिन मेडिटेशन, ध्यान को करने से ही मानसिक और बौद्धिक क्षमता में विकास होता है जिससे हमारा जीवन बहुत सुन्दर और शक्तिशाली बन जायेगा साथ ही साथ बच्चों को अनुशासन में हमेशा रहना चाहिये क्योंकि अनुशासन जीवन का अभिन्न अंग होता है।
सरगुजा संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी जी मातृत्व शक्ति को सम्बोधित करते हुये कहा कि माँ ही वो फरिश्ता है, जो जन्म के पहले से लेकर जब तक जीवन है, तब तक हर क्षण में हमारे साथ रहती है, कभी माँ तो, कभी दोस्त, कभी गार्जियन, कभी डॉक्टर बनकर हर पल साथ रहती है। आगे उन्होंने मातृत्व शक्ति से भी अपील की कि बच्चों के साथ सदा सकारात्मक होना चाहिये, सकारात्मक बोल ही बोलने चाहिये, क्योंकि सोच के आधार पर बोल होता है और हम जितना सकरात्मक सोचते है, वैसे भाव- भावना के आधार पर हमारा परिवर्तन हो जाता है। हमारी मानसिक, शारीरिक बीमारी भी खत्म हो जाता है। हमें अपने जीवन में माफी मांगना, क्षमा करना, धन्यवाद देना और प्रेम करना यदि ये चार शब्द मातृ शक्ति अपने जीवन में धारण कर लें तो जीवन के हर परिस्थतियों में विजय प्राप्त कर लेंगे।
वसुधा महिला मंच की अध्यक्ष बहन वन्दना दत्ता जी ने कहा कि माँ का दिन एक दिन नहीं बल्कि रोज है, माँ के बिना एक पल भी नहीं है। माँ के बलिदान को मातृ दिवस के रूप में सम्मान दिया जाता है, पर ये एक दिन नहीं रोज होना चाहिये। हर चीज में पहले माँ याद आती है। माँ होने के लिये केवल बच्चों को जन्म देना आवश्यक नहीं है, ये तो भावना है, जो सबके लिये होता है। माँ का सम्मान ही यही है कि वृद्धाश्रम ही नहीं रहे। माँ के डॉट को बुरा नहीं मानना है बल्कि उसे सही सोच से स्वीकार करना और मातृ शक्ति को भी एक- दो को सम्मान करना चाहिये।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुषमा रवि बहन मातृ दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि माता- पिता ही वो शख्स है, जो जीवन के हर परिस्थिति में निःस्वार्थ भाव से खडे़ रहते है। जैसे पतंग की डोरी कट जाये तो पतंग नीचे गिर जाता है, ठीक वैसे ही माता-पिता  के साथ हमारा सम्बन्ध नहीं तो  ऊँचाई पर नहीं पहुँच पायेंगे। इसलिये अपने माता- पिता को प्यार, विश्वास, सम्मान एवं समर्पण के साथ सदा अपने दिल के पास रखना है।
इस अवसर पर बच्चों ने मातृ शक्ति के सम्मान में उनकी महत्ता को नृत्य एवं गीत के माध्यम से अभिव्यक्त कर सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंत में सभी बच्चों ने अपने माँ को फूल, कार्ड, एवं गिफ्ट देकर अपने भावनाओं को अभिव्यक्त किया। बच्चें अपने माँ का निःस्वार्थ, प्रेम पाकर गदगद हो गये। और सारी सभा भावविभोर हो गयी।  
कार्यक्रम का सफल संचालन बी.के. प्रतिमा बहन ने किया।

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