बेतिया, बिहार: कल्पतरुह विश्व पर्यावरण दिवस एवं 75वीं आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर के शुभ अवसर पर दिनांक 30 जून दिन गुरुवार 2022 को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय; प्रभु उपवन ( संतघाट ) बेतिया सेवाकेंद्र में 75 से अधिक पौधा उपस्थित भाई बहनों द्वारा लगाकर वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। ब्रह्माकुमारीज़ के कुल 9000 से अधिक शाखाओं के द्वारा 75 पौधा प्रत्येक शाखा एवं 40 लाख लोगों द्वारा 40 लाख पौधा, 15 अगस्त तक लगाने का संकल किया गया था, जो हमारे बेतिया सेवाकेंद्र के द्वारा संपन्न किया गया।
सेवाकेंद प्रभारी राजयोगिनी अंजना दीदी जी ने बताया कि अब हमें प्रकृति के साथ संबंध जोड़ कर उसी देवतुल्य बनाना है। हम सभी देख रहे हैं कि हमारी सरकार कैसे प्रकृति का ख्याल रखते हुए बड़े-बड़े शहरों, गावों में रोड किनारे कितने रंग-बिरंगे फूल पत्तियां, पेड़ पौधे लगा कर के प्रकृति को स्वच्छ बनाने की कोशिश कर रही है, तो क्यों ना हम भी उनका सहयोग करें। हम अपने घरों से क्यों ना शुरुआत करें। हम जो अपने घरों की सजावट आर्टिफिशियल फूल पतियों से करते हैं उसके बजाय हम नेचुरल फूल पत्तियां लगाकर अपने घरों की सजावट कर सकते हैं। हम अपने घरों में तुलसी, सदाबहार, गुलाब, मनी प्लांट, चमेली , अड़हुल, गेंदा, क्रिसमस, लिली के पौधा लगा सकते हैं। हम अपने छत ऊपर भी रंग बिरंगी फूल पतिया लगा सकते हैं।साथ ही साथ दीदी जी ने यह बताया कि हम जो मकान बनाते हैं उस जमीन में से कम से कम एक या 2 फीट जमीन चारों ओर से छोड़कर घर बनाए और छोड़े हुए जमीन को क्यारी की तरह बनाकर उसमें अशोक का पेड़, नीम का पेड़, कड़ी पत्ता का पेड़, और प्रकृति को शुद्ध हवा देने वाली पेड़ पौधे लगाकर अपने घर को भी स्वर्ग की तरह सजा सकते है। और दीदी जी ने प्रकृति को आध्यात्मिकता की दृष्टि से देखते हुए यह बताया कि प्रकृति जो पांच तत्वों से बनी हुई है वह अब तामोप्रधान हो गई है, तो अब हमें उसे सतोप्रधान बनाने की जरूरत है, हम जो भी पेड़ पौधे लगाते हैं तो उसमें खाद पानी डालने के साथ साथ हम उन पौधों से अच्छी-अच्छी बातें करें जैसे हम अपने बच्चों से बातें करते हैं तो देखिएगा आपके द्वारा लगाए गए पेड़ पौधे कैसे हमेशा हरे भरे दिखेंगे। जैसे आपकी बच्चे दिखते हैं। इस कार्यक्रम में इस विद्यालय से जुड़े हुए बेतिया हॉस्पिटल गायनी डिपार्टमेंट से डॉ सुधा भारती, विनोद जयसवाल, अनीता जयसवाल, धर्मेंद्र जयसवाल सभी ब्राह्मण कुलभूषण भाई बहन भी उपस्थित थे।