कानपुर: संत सम्मेलन – सनातन संस्कृति की बुनियाद आध्यात्मिकता

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दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए महिला कल्याण, बाल विकास पुष्टाहार राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, रामनाथ भाई, महंत श्री कृष्ण दास जी महाराज, बी के दुलारी दीदी, श्री स्वामी मुनिशाषाश्रम जी महाराज, महंत श्री मधुर जी महाराज, सांसद देवेंद्र सिंह भोले, बी के पीयूष भाई तथा अन्य।

यह एक ऐसा विश्व विद्यालय है जहां आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना होती  है- बी के रामनाथ भाई मधुबन। 

सनातन सदा शाश्वत है, कभी खत्म होने वाला नहीं है – अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी मुनिशाषाश्रम जी महाराज, शंकराचार्य मठ।

कानपुर उत्तर प्रदेश: राजयोगी ब्रह्माकुमार रामनाथ भाई धार्मिक प्रभाग संयोजक मुख्यालय माउंट आबू राजस्थान के कानपुर शुभागमन पर विशेष कार्यक्रम – सनातन संस्कृति की बुनियाद आध्यात्मिकता। 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए श्री विभूषित श्री स्वामी मुनिशाषाश्रम जी महाराज, शंकराचार्य मठ ने कहा कि यदि मूलतः देखा जाय, सनातन से कुछ भिन्न नहीं। भगवान ने गीता में कहा अर्जुन से मैं यह ज्ञान जो तुमको दे रहा हूं यह ज्ञान मैंने सूर्य को दिया था। यद्यपि सूर्य अनादि है भारतीय संस्कृति भी अनादि है। विचार करके देखा जाय तो जीवन में वास्तविकता यह है जब कोई नहीं था, ब्रह्म था। ब्रह्म से जगत पैदा हुआ है। और ब्रह्म से स्पंधित है। यह कोई नहीं बता सकता की सनातन का जन्म कब हुआ। सनातन सदा शाश्वत है।

श्री श्री 108 महामंडलेश्वर महंत श्री कृष्ण दास जी महाराज (श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पनकी धाम कानपुर) ने कहा – धर्म हमें जोड़ना सीखता है। धर्म माना धारणा। जो हमारे आचरण में है। वही हमारा धर्म है। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।

बी के रामनाथ भाई जी ने अपने विचार रखते हुए कहा – आप और हम सभी एक ऐसे यूनिवर्सिटी में बैठे हैं। सारे विश्व के अंदर यही एक ऐसा विश्व विद्यालय है जो आदि सनातन देवी देवता धर्म का जो ज्ञान है इससे सारा विश्व कहता है लेक आफ स्पिरिचुअलिटी इन अवर एजुकेशन। हमारी पढ़ाई के अंदर आध्यात्मिकता नहीं है। आध्यात्मिकता क्या है, धर्म क्या है यह दो चीजें अलग हैं। भारत के अंदर आदि से माना शुरू से सनातन जो कभी मिटने वाला नहीं। देवी और देवताएं भारत में रहते हैं। तब कहते हैं आदि सनातन देवी देवता धर्म। आदि सनातन देवी देवता धर्म का फाउंडेशन स्वयं परमपिता परमात्मा आकर के लगाते हैं।

महिला कल्याण, बाल विकास पुष्टाहार राज्य मंत्री उ0प्र0 श्रीमती प्रतिभा शुक्ला ने कहा – यहां आकर मैंने महसूस किया कि हम किसी भी मार्ग पर जाएं। एक स्नेह ही आकर्षित करता है। जितने प्रेम भाव से आप ईश्वर को बुलाएंगे। वह आपके समीप आएगा और हमारा अंतःकरण पवित्र करेगा।

ब्रह्माकुमारी दुलारी दीदी जी ने कहा –  यह ज्ञान परमपिता परमात्मा ने सर्व आत्माओं के लिए दिया है। इसलिए प्रत्येक आत्मा ईश्वर की संतान तो है। लेकिन जाने, माने, समझे, तब ईश्वर के पास जो है सब कुछ उसको मिल जाएगा। बेशक भक्ति करते हैं। पूजा पाठ करते हैं। वंदना करते हैं। सब कुछ करते हैं। लेकिन जिसके लिए करते हैं उसको जानते नहीं हैं इसलिए उसको जानकर उससे सच्ची दिल की प्रीत जोड़ो तो सर्व प्राप्तियां सर्व सुख प्राप्त हो जाएंगे।

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