काठमाण्डू: आदरणीय ब्रह्माकुमारी शीला दीदी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ अंतिम विदाई

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काठमांडू ,नेपाल। अगस्त 2024 राजयोगिनी, तपस्विनी, बाल ब्रह्मचारिणी, ब्रह्माकुमारी शीला दीदी जो प्यारे बाप दादा की अति लाडली थी जिन्हाकोें साकार ब्रह्माबाबा और जगदम्बा मंम्मा के अंग संग रहकर अलौकिक अनुपम पालना पाने का अहोभाग्य प्राप्त हुआ । आपंने भारत के अनेक नगरों में ईश्वरीय सेवा की तथा नेपाल भूमि में लगभग 55 वर्ष तक ईश्वरीय सेवा में योगदान दिया । आपने दिनांक 31 जुलाई 2024 को 80 वर्ष की उम्र में अपना पुराना चोला त्याग कर बाप दाद की गोद ली । आपके पार्थिव शरीर को एक रात काठमांडू के मुख्य सेवा केन्द्र विश्व शान्ति भवन ठमेल में ही रखा गया और रात भर ब्राह्मणें की योग तपस्या चलती रही और उनकी आत्मा को शांति का योग दान दिया गया ।

1 अगस्त सबेरे उनका पार्थिव शरीर पर राज दीदी जी सहित अन्य भाई बहनों द्वारा फूल माला, चंदन आदि चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी गई । उसके बाद काँच के विशेष बक्से पर अरथी को रखकर एक सजी सजाई ट्रक द्वारा काठमांडू नगर के अनेक स्थान को होते हुए कार, मोटर साइकल सहित नेपाल पुलिस के स्केटिंग के साथ नगर परिक्रमा करते हुए ब्रह्माकुमारीज नगरकोट ज्ञान सरोवर एकेडमी में ले जाया गया । वहां बने हुए चार धाम की परिक्रमा कराई गई तथा बाबा के कमरे के आगे वहाँ के स्थानीय सम्पर्क वाले लोग जिसमें वार्ड कमिश्नर सहित के लोग थे उन्होंने बहुत श्रद्धा से शीला दीदी को श्रद्धांजलि अर्पित की । उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पशुपति आर्यघाट पर लाया गया । पशुपति आर्यघाट पर हजारों ब्रह्माकुमार कुमारी भाई बहनों ने बहुत हृदय की श्रद्धा से उनके अरथी पर फूल माला, अविर ,चन्दन आदि के द्वारा श्रद्धासुमन अर्पण किया । 

आदरणीय राज दिदी जी किरण बहन, पंजाब लुधियाना से आये हुये उनके परिवार जन ब्रह्माकुमारी प्रकाश दिदी, बवली बहन, अरुणा बहन, कोमल बहन तथा एभन भाई ने भी अपने तरफ सेश्रद्धांजलि दी । विशेष करके मधुबन तपोभूमि से आदरणीय दादी जी, मुन्नी दिदीजी, वरिष्ठ भ्राता निर्वैर जी, बृजमोहन जी, करूणा जी, मृत्युंजय जी, डा. वनारसीलाल जी के द्वारा प्यार भरी याद के साथ भेजा हुआ चादर, चन्दन की माला और चन्दन चढाकर ब्रह्माकुमार अमरपति भाई ने श्रद्धासुमन अर्पण किया । काठमाण्डू अन्तरगत के सब जोन, विराटनगर, राजविराज, विरगंज हेटौडा, नारायणगढ से पधारे हुये भाई बहनों ने भी भावपूर्ण श्रद्धा सुमन अर्पण किया । इस तरह  श्रद्धासुमन की विधि को पूर्ण करके उनको अन्तिम विदाई दी गई और उनके पार्थिव शरीर का अन्तिम संस्कार किया गया  । 

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