आबू रोड: सात दिवसीय थ्रीडी हेल्थकेयर शिविर शुरू

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हार्ट में ब्लॉकेज होने का मुख्य कारण है नकारात्मक सोच
– सात दिवसीय थ्रीडी हेल्थकेयर शिविर शुरू
– देशभर से पहुंचे हैं हृदयरोगी
– कैड प्रोग्राम से अब तक 12 हजार से अधिक मरीज हो चुके हैं ठीक

आबू रोड,राजस्थान। हृदयरोगियों के लिए थ्रीडी कैड प्रोग्राम वरदान साबित हो रहा है। इस सात दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेकर अब तक 12 हजार से अधिक हृदयरोगी ठीक हो चुके हैं या सामान्य जीवन जी रहे हैं। वर्ष 1999 से यह ट्रेनिंग प्रोग्राम मुख्यालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। 181वें कैड प्रोग्राम के शुभारंभ पर ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्‌ढा ने कहा कि हमें खुद ही अपने शरीर को मैनेज करना सीखना होगा। जैसा हमारा चिंतन होता है वैसा ही शरीर बनता है। अपनी विचारधारा एेसी बनाएं कि हम स्वस्थ रहें और परिवार, समाज को भी स्वस्थ बनाएं। आज लोग रियलाइज कर रहे हैं कि हमें मन पर काम करने की जरूरत है। इस प्रोग्राम को अपने जीवन में परिवर्तन लाएं। प्लांट वेस्ट डाइट ही हेल्दी डाइट है।
मेडिकल विंग के सचिव डॉ. बनारसी लाल ने कहा कि आप सभी कितने भाग्यवान हैं कि भगवान के घर आए हो। जो भगवान के घर आ गया उसे चिंता करने की बात नहीं है। अब उसकी रक्षा का काम परमात्मा का है। सुप्रीम सर्जन के आगे यह छोटी सी चीज है। यहां से ट्रेनिंग लेकर अब तक हजारों हार्ट मरीज ठीक हो चुके हैं।

जल्दबाजी करने वालों को ज्यादा आता है अटैक-
कैड प्रोग्राम के निदेशक डॉ. सतीश गुप्ता ने कहा कि 27 साल से ये प्रोग्राम चल रहा है। कोविड में भी ऑनलाइन प्रोग्राम किए गए। वायपास में हम ब्लॉक लगाते हैं लेकिन उसकी जड़ पर काम नहीं करते हैं। हम जो खाते, देखते, सुनते, बोलते और सोचते हैं उससे ब्लॉकेज बनते हैं। अब स्टेंड के आगे ब्लॉक आ जाता है और वायपास फेल हो जाती है। जिन लोगों में जल्दबाजी होती है उन्हें हार्ट अटैक ज्यादा आता है। जो दूसरों में कमियां देखते हैं, उन लोगों में भी ब्लॉकेज होते हैं। जो बात- बात पर गुस्सा करते हैं उन्हें ब्लॉकेज होते हैं। ब्लॉकेज होने का मुख्य कारण है हमारी नकारात्मक सोच। जब मैं दिल्ली एम्स में था तो राजयोग सीखने के बाद मेरी लाइफ स्टाइल बदल गई। जब यह प्रोग्राम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दिखाया तो उन्होंने कहा कि आप इस पर रिसर्च करो। मैंने रिसर्च के बाद इसे शुरू किया और इसका उद्घाटन भी उन्होंने ही किया था। इसमें भाग लेकर कई मरीजों के सौ फीसदी तक ब्लॉकेज खुल गए हैं। आगे हर महीने दो से तीन प्रोग्राम करने की योजना है।

बुद्धि को बाबा के हवाले कर दें-
गुजरात से आईं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके उर्मिला दीदी ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि ब्रह्मा बाबा और मम्मा के साथ वर्षों तक साथ रहने का सौभाग्य मिला। उनकी स्थिति एकरस थी। अपने मन, बुद्धि को शिव बाबा के हवाले कर दें। कोई संकल्प, विकल्प नहीं रखें। एकदम हल्के रहें, जिससे दूसरों को भी अनुभव हो कि आप कितना अच्छे से सीख रहे हैं। प्रेम से की गई सेवा सफल करती है। नागार्जुन फर्टिलाइजर के चेयरमैन केएस राजू ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन से हमारा जीवन बदल जाता है, इसका मैं खुद साक्षी हूं। बीके बाला बहन ने स्वागत भाषण दिया। संचालन बीके युगरतन ने किया।

हृदयरोगियों के अनुभव-
– ऑस्ट्रेलिया से आए प्रभु दयाल ने कहा कि दस साल पहले अटैक आया था। जांच में चार ब्लॉकेज निकले। लंबा ब्लॉकेज होने से ऑपरेशन संभव नहीं था। एंजियोग्राफी के बाद डॉक्टर ने चार स्टेंड लगाने के लिए कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। फिर तीन माह डॉ. सतीश गुप्ता के बताए अनुसार डाइट प्लान और दिनचर्या फॉलो की। इसके बाद एंजियोग्राफी कराई तो सब सामान्य निकला।
– गुजरात ऊंझा से आए जगदीश भाई ने कहा कि 14 साल पहले अटैक आया था। एंजियोग्राफी में चार ब्लॉकेद निकले। शुगर भी 400 के आसपास रहती थी। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोला लेकिन मैंने मना कर दिया। पहले प्रोग्राम में आया तो 100 कदम नहीं चल सकते थे अब रोज 5 किमी आसानी से चल लेता हूं। 102 किलो वजन था जो अब 52 किलो हो गया है। कै़ड प्रोग्राम के बाद कभी हॉस्पिटल में एडमिट नहीं होना पड़ा। दो साल में 1070 स्टेप सवा घंटे में पूरे कर दिए। 99वा रेगुलर प्रोग्राम है। 52 वजन है। सुबह से शाम तक सेवा करते हैं।

क्या है कैड प्रोग्राम-
ग्लोबल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर माउण्ट आबू, रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद एवं स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से फरवरी 1999 में सीएडी रिसर्च प्रोजेक्ट (थ्री डायमेंशल हेल्थ केयर प्रोग्राम फॉर हेल्दी माइंड, हार्ट एवं बॉडी) की नींव रखी गई। इसके तहत विभिन्न राज्यों से एंजियोग्राफी द्वारा प्रमाणित ह्रदय रोगियों पर राजयोग मेडिटेशन द्वारा आत्मा और मन का स्वास्थ्य, शुद्ध सात्विक आहार, सुबह सैर, रात्रि 10 बजे सोना और प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में उठना, ध्रूमपान एवं मद्यपान निषेद्य और उचित दवाइयां युक्त स्वास्थ्य जीवनशैली का प्रयोग किया गया।

प्रशिक्षण में तीन बातों पर रहता है –
पहला: मेडिटेशन- इस प्रशिक्षण में आबू रोड आने वाले प्रत्येक मरीज के लिए सबसे पहले राजयोग मेडिटेशन का प्रशिक्षण दिया जाता है। सभी को ब्रह्ममुहूर्त में 4 बजे उठना कमपलसरी होता है। इस दौरान गाइड मेडिटेशन करने के लिए विचार देते हैं और उसी अनुसार मरीज उसे फॉलो करते हुए मन ही मन में उसे विजुलाइज करते हैं।
दूसरा: हेल्दी भोजन- कैड प्रोग्राम में मरीज के लिए संतुलित और हेल्दी डाइट दी जाती है। सुबह, दोपहर और रात के भोजन का एक तय मीनू रहता है। कब, क्या और कितना ग्रहण करना है, यह सब तय होता है। खासतौर पर सलाद और अंकुरित अनाज को शामिल किया जाता है।
तीसरा: व्यायाम- सभी प्रशिक्षाणर्थियों के लिए रोज सुबह व्यायाम, तेज पैदल चलना कमपलसरी रहता है। जो मरीज पहले दिन आते हैं और आधा किमी पैदल नहीं चल पाते थे वह दस दिन के प्रशिक्षण में ही पांच किमी तक पैदल चलने लगते हैं।

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