मेरी स्थिति मेरी प्रॉपर्टी है, मैं कोई के दो बोल पर अपनी स्थिति क्यों बेचूं? मैं किसी के दो बोल से हज़ार रूपया नहीं देती तो किसी के भाव-स्वभाव में अपनी स्थिति को क्यों बेचूं? जो अपनी स्थिति को खो देते वह दिलबेचू बन जाते।
सदैव अपनी तकदीर का सितारा चमकता रहे तो यह बोल कभी नहीं निकलेंगे कि – हाय मेरी तकदीर। जो तकदीर में होगा… यह हैं भक्तों के बोल। मैं अपनी तकदीर क्यों पीटूं? मेरी तकदीर का सितारा सदा चमकता रहे। हमारा यादगार आसमान में चमक रहा है, मैं फिर क्यों कहूं हाय मेरी तकदीर! मैं ऐसा क्यों कहूँ जो मेरा पार्ट होगा!
हम माला में पिरोने वाले मोती अगर यह शब्द बोलते हैं तो ज्ञानी और अज्ञानी में अन्तर ही क्या रहा! अपनी तकदीर को कभी नहीं भूलो। अगर कभी कोई गलती भी होती तो उसको रियलाइज़ कर हाई जम्प दो। हमारी स्थिति है हाई जम्प की। हमें देना है हाई जम्प और करते रहें हाय-हाय तो हाई जम्प कब देंगे?
मैं हमेशा देखती कि मैं कहाँ और अज्ञान कहाँ। जब हम अपनी स्थिति में रहते तो अज्ञानी हमसे बहुत दूर हैं। उन पर हमारा रहम है, तरस है। लेकिन अपने संस्कारों के ऊपर रहम नहीं करना है। संस्कारों को मिटाने के लिए धर्मराज बनो। संस्कारों पर शेर होकर रहो। संस्कारों को मिटाने के लिए बाबा को नहीं पुकारना है। बाबा ने मुझे सब कुछ दे दिया है। बाबा मेरे साथ हैं। जब बाबा को सामने नहीं देखते, बाबा को अबसेन्ट करते तब हाय हाय करनी पड़ती। बाबा को अपनी बुद्धि में, अपने नयनों पर बिठाकर रखो।
कई बार जब बाबा कहता मेरा राइट हैंड धर्मराज है, तो मैं सोचती कि हम सबका भी राइट हैंड धर्मराज है। उस राइट हैंड को सदा साथ रखो तो सब संस्कार शांत हो जायेंगे। प्यारे बाबा के गुण गाओ और उनकी मस्ती में रहो। बाबा के साथ रहो। बुद्धि में याद रहे हमें समान बनना है। नीचे से ऊपर जाने में श्वास फूलता, सदा ऊपर रहो तो सीढ़ी मजऱ् हो जायेगी। कभी भी अपने बाबा को पुकारो नहीं। पुकार हमारी अधीनता है। बाबा को साथी रखो तो सदा आराम है।
कोई थोड़ी-सी बात में तंग हो जाते हैं फिर कहते बाबा मैं तो तंग हो गया। इसमें बाबा क्या करे। यह भाषा ही हमारी क्यों निकलती। जब हम जानते हैं यह सब ड्रामा में नूंधा हुआ है फिर यह बोल निकलना भी रॉन्ग है। विश्व के मालिक अपने मालिकपन के नशे में रहो, नीचे नहीं आओ। जैसे अपनी प्रॉपर्टी अपनी पर्सनल तिज़ोरी में रखते हो, वह किसी की दो बातों से गंवा नहीं देते। ऐसे मेरी स्थिति मेरी प्रॉपर्टी है, मैं कोई के दो बोल पर अपनी स्थिति क्यों बेचूं? मैं किसी के दो बोल से हज़ार रूपया नहीं देती तो किसी के भाव-स्वभाव में अपनी स्थिति को क्यों बेचूं? जो अपनी स्थिति को खो देते वह दिलबेचू बन जाते। दिल बिक गई माना स्थिति बिक गई। सर्विस हमारी खुशी का साधन है, सर्विस में बिजी रहो। अपने को न नींच नमाओ(नींचा नहीं समझो) न अभिमान में आओ। निर्माणता मेरा गुण है, रहना सदैव मस्ती में है।