दस हजार लोगों ने पुष्पांजली अर्पित कर दादी को किया याद
– विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई दादी प्रकाशमणि की 17वीं पुण्यतिथि
आबू रोड (राजस्थान)। ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 17वीं पुण्यतिथि पर देशभर से पहुंचे दस हजार लोगों ने पुष्पांजली अर्पित कर उनकी शिक्षाओं को याद किया। भारत सहित विश्व के 137 देशों में पुण्यतिथि विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई। संस्थान के आठ हजार सेवाकेंद्रों पर अलसुबह से रात तक योग-साधना का दौर जारी रहा। शांतिवन में दादी की याद में बने प्रकाश स्तंभ पर सबसे पहले मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी, महासचिव बीके निर्वैर भाई, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई सहित अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद कतार में लगकर भाई-बहनों ने श्रद्धांजली दी।
डायमंड हॉल में आयोजित कार्यक्रम में महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि मुझे वर्षों तक दादी प्रकाशमणि जी के साथ सेवाएं करने का सौभाग्य मिला। दादी का व्यक्तित्व इतना विशाल था कि बड़े-बड़े संत-महात्मा भी उन्हें दादी मां की तरह याद करते थे। दादी प्रकाशमणि नारी शक्ति का वह प्रदीप्तमान सितारा थीं जिनके ज्ञान के प्रकाश की रोशनी आज भी अध्यात्म के पथिकों की राह प्रशस्त कर रही है। आपके हृदय की गहराई और विशालता कितनी महान रही होगी जो हर किसी को यही अनुभव और एहसास होता था- मेरी दादी मां। जहां एक ओर परिवारों में दो-चार लोगों को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं होता है, वहीं दादी के अथाह प्यार, पालना, अपनापन और उदारता की महानता ही है कि हजारों ब्रह्माकुमारी बहनों की संरक्षक, मार्गदर्शक बनकर सदा आगे बढ़ती गईं और ब्रह्माकुमारीज़ को विश्व क्षितिज पर स्थापित कर दिया।
अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि दादी और बाबा की प्रेरणा से यह विशाल डायमंड हॉल बनकर तैयार हुआ। बाबा दादी को कुमारका नाम से पुकारते थे, क्योंकि दादी हमेशा भाइयों का मां की तरह बहुत ध्यान रखती थीं। दादी के साथ सभी को लगता था कि यह मेरी दादी हैं। उन्होंने प्यार-स्नेह से सभी को एकता के सूत्र में बांध रखा था। दादी हमेशा कहती थीं शिब बाबा का यह ईश्वरीय परिवार है वहीं चला रहे हैं, मैं तो निमित्त मात्र हूं।
नारी शक्ति की मिसाल थी दादी-
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि जिस विश्वास, आशा और उम्मीद के साथ ब्रह्मा बाबा ने दादी को 1969 में इस ईश्वरीय परिवार की कमान सौंपी थी दादी ने उससे हजार गुना उम्मीद पर खरा उतरते हुए परमात्म के दिव्य कार्य को न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि लाखों ब्रह्माकुमार भाई-बहनों के हृदय में निश्चल स्नेह-प्यार की मूरत बनकर सदा-सदा के लिए बस गईं। आपका जीवन नारी के शक्ति स्वरूप की जीती जागती मिसाल था।
लक्ष्य महान हो तो कुछ भी असंभव नहीं-
मल्टीमीडिया निदेशक बीके करुणा भाई ने कहा कि आपने दिव्य कर्म और विराट सोच से यह साबित कर दिखाया है कि यदि लक्ष्य पवित्र, महान और परमात्म साथ हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। इतने महान लक्ष्य दो-पांच वर्षों में हासिल नहीं किए जा सकते हैं। योग-तपस्या के पथ पर चलते हुए आपने न केवल अपना जीवन तपस्यामय बनाया बल्कि हजारों लोगों के लिए आदर्शमूर्त, उदाहरणमूर्त बनकर दिलों में ऐसी अमिट छाप छोड़ी जिसे मिटा पाना कभी संभव नहीं है।
इस दौरान संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके शशि दीदी और बीके दिल्ली पांडव भवन की बीके पुष्पा दीदी, यूएसए की डॉ. बीके हंसा दीदी, बीके आत्म प्रकाश भाई, डॉ. प्रताप मिड्ढा, डॉ. सतीश गुप्ता सहित दस हजार से अधिक लोग मौजूद रहे। संचालन प्रयागराज की बीके मनोरमा दीदी ने किया।