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कुरुक्षेत्र:  विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई दादी प्रकाशमणि की 17 वीं पुण्यतिथि

कुरुक्षेत्र , हरियाणा। ब्रह्माकुमारी की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की  पुण्य स्मृति दिवस विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में  विश्व शांति धाम सेवा केंद्र में मनाई गई। इस अवसर पर प्रातः मुरली क्लास में पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा जी अपने सहयोगियों के साथ उपस्थित रहे। उन्होंने दादी के चित्र पर पुष्प माला अर्पित कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये ‌। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आप सब जिस कामना के लिए यहां आए हैं,वह पूर्ण हो और हम सबको भी आशीर्वाद प्राप्त हो, ऐसी मेरी मंगल कामना है। केंद्र प्रभारी राजयोगिनी सरोज बहन जी ने अशोक अरोड़ा जी का आभार व्यक्त करते हुए दादी प्रकाशमणि के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दादी के मन में बाबा के सिवाय कुछ नहीं रहता था। उनका पूरा जीवन ईश्वरीय सेवा में ही एक ईश्वर की लगन में मगन रहकर व्यतीत हुआ 14 साल की अल्पायु में अपना जीवन अर्पित कर दिया था। उन्होंने बताया कि दादी दिव्य गुणों की प्रतिमूर्ति थी। स्नेह व शक्ति का अद्भुत संतुलन था, सभी की विशेषताओं को पहचान कर सेवा में लगाना, सभी का सम्मान करना और स्नेह देना, दूसरों की कमियों को ना देख केवल उन्हें आगे बढ़ाना, निर्मल, निष्काम, आत्मिक प्रेम की प्रतिमूर्ति होने के कारण केवल प्यार बांटते रहना ही उनका मुख्य कर्तव्य था। आज दादी भले शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी आध्यात्मिक संदेश और शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों को संदेश देते रहेंगे। बहन जी ने बताया कि हम सब परमपिता परमात्मा के बच्चे हैं। जब हम स्वयं को परमपिता से जोड़ेंगे तो काम, क्रोध, मोह,लोभ, अहंकार आदि विकार समाप्त हो जाएंगे। भगवान से सदा विजय भव का वरदान लेने के लिए उससे जुड़ना है- जिसे राजयोग कहते हैं। जब हम उससे जुड़ जाते हैं तो मन, बुद्धि, संस्कार स्वयं परिवर्तन हो जाते हैं और हम वरदानों से भर जाते हैं। अपने वक्तव्य के अंत में बहन जी ने कहा कि दादी के जीवन चरित्र के गुणो को जीवन में अपनाने में सच्ची श्रद्धांजलि होगी । हम सबको दादी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। इस अवसर पर उपस्थित सभी बहन भाइयों ने दादी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपनी भावनाएं व्यक्त की और सच्ची श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के समापन पर सभी बहन भाइयों ने ईश्वरीय प्रसाद पाकर स्वयं को धन्य समझा और दादी के पद चिन्हों पर चलने का प्रण लिया।

विश्व शांति धाम में जन्माष्टमी  बहुत धूमधाम से मनाई गई

छोटे-छोटे बच्चे राधा और कृष्ण बनकर रासलीला की केंद्र प्रभारी सरोज बहन जी ने सभी को जन्माष्टमी का आध्यात्मिक अर्थ बताया की किस प्रकार हमें  श्री कृष्ण के समान अलंकार धारी बनना है जिससे हम अपने जीवन की हर समस्या से लड़कर विजई बन सके| श्री कृष्ण के समान पवित्रता,  दिव्यता का गुण धारण कर सबके साथ गुण की रासलीला करनी है | श्री कृष्ण के सामान योगेश्वर बन एक परमात्मा के साथ योग लगाकर उनकी श्री मत पर  चलना है, देह अभिमान की मटकी फोडनी है |

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