राजयोग के प्रयोग ने बचाया मुझे

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बात सन् 2001 की है। मुझे राजयोग का अभ्यास करते हुए करीब 3 वर्ष ही हुए थे। मैं एक कम्पनी वालों के साथ कार से नैनीताल घूमने जा रहा था। मेरे साथियों की 5 अन्य कारें भी चल रही थीं। इसी बीच रास्ते में कालाढंूगी में एक कार से मेरा ऐसा एक्सीडेंट हुआ जिससे कार पहाड़ी से करीब 25-30 फीट की गहराई में गिर गई। जैसे ही हमारी कार गहरी खाई में पलटी तभी मेरा सिर जोर से शीशे में लगा और शीशा टूट गया और सारा कांच सिर में घुस गया। उस वक्त मुझे शरीर से बिल्कुल अलग होने का अनुभव हो रहा था। आँखों के सामने काली रात की तरह अंधेरा-सा छा गया, और तभी मुझे, मेरे सामने सफेद वस्त्रों में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा दिखाई दिए और मैं ब्रह्मा बाबा से बात करने लगा- बाबा, किसी की गाड़ी खाई में गिर गई है, उस बिचारे को बहुत चोट लगी होगी इसलिए वो चिल्ला रहे हैं।
ब्रह्मा बाबा ने तीन बार मुझे कहा- बच्चे, तुम शान्त हो जाओ, सब ठीक हो जायेेगा। इतना कहकर बाबा अंतध्र्यान हो गये। जब मैं वापस शरीर में आया तो मेरे शरीर में बहुत भयंकर दर्द हो रहा था, तब मुझे पता चला कि अरे मैं ही तो गाड़ी के अन्दर हूँ। मेरी ही गाड़ी नीचे गिरी है, मुझे ही चोट लगी है, गंभीर चोट होने के कारण तब मैं बेहोश हो गया। हाथ भी फ्रैक्चर हो गये थे। 3-4 जगह से बहुत ज्य़ादा खून बहा। सबके मुख से निकला यह बचेगा नहीं। अखबार वालों ने भी मेरा फोटो खींचा और दूसरे दिन अखबार में फोटो सहित छपा, क्रक्रटोयोटा क्वालिस कार गहरी खाई में पलटी, चालक की मृत्यु।ञ्जञ्ज कुछ लोगों ने हमें गाड़ी से निकाल कर कृष्णा नर्सिंग होम,हल्द्वानी में भर्ती कराया। वहां के डाक्टर ने कहा कि यह तो बचना बहुत मुश्किल है। मुझसे पूछा- तुम्हें कैसा लग रहा है? मैंने बोला- मुझे सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है, तेज़ दर्द भी हो रहा है लेकिन मृत्यु का तनिक भी भय नहीं है। शरीर में दर्द है लेकिन मौत क्या होती है उसकी कोई परवाह नहीं थी फिर मुझे ऑक्सीजन दी गई। इसके बाद एम्बुलेंस से मुझे दिल्ली में एक नर्सिंग होम लाया गया। उस समय मेरे साथ कोई मित्र-सम्बन्धी नहीं थे। 3 दिन के बाद मेरे सिर से टूटा कांच निकाला गया। डॉ. बोला जीवन भर तुम्हें दर्द रहेगा। मैंने बाबा के कमरे में मेडिटेशन करने लिए कहा- बाबा के कमरे में मुझे दो भाई पकड़कर ले जाते थे। मैंने बाबा के कमरे में तीन-तीन घण्टे बैठकर योग करना आरम्भ किया। हमारे ब्रह्माकुमारी सेन्टर में भी सब भाई-बहनों ने शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए राजयोग का प्रयोग किया। मैं बाबा के प्यार में खो जाता था।
तीन महीने के बाद शरीर का दर्द पूरी तरह ठीक हो गया। डॉक्टर भी आश्चर्य से कहने लगे कि ये तो बहुत बड़ा वण्डर है। तुम्हें 16 टांके लगे, सिर में इतना कांच भरा, तीन-तीन जगह फै्रक्चर हुआ और आप इतना जल्दी कैसे ठीक हो गये! मैंने कहा- मैं नित्य राजयोग का अभ्यास करता हूँ। जब लौकिक सम्बन्धी आये तो उन्होंने हमें वह अखबार दिखाया। कहा देखो तुम्हारी तो मरने की न्यूज़ छपी है। मुझे नहीं मालूम था कि बाबा ने कौन-सी सेवा कराने के लिए मरजीवा जन्म दिया।
कुछ समय के पश्चात मुझे मानेसर,हरियाणा में परमआदरणीय दादी गुल्ज़ार जी की कार चलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, तब मुझे एहसास हुआ कि शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा ने अपने रथ की सेवा कराने के लिए मुझे यह नया जन्म दिया। मुझे दादी हृदयमोहिनी जी से इतना अलौकिक प्यार मिला जिसे शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। अगर मैं मेरे जीवन में शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा द्वारा सिखाये जा रहे राजयोग का अभ्यास नहीं करता तो ऐसे भयंकर एक्सीडेंट से बचना असम्भव था। यह है राजयोग द्वारा परमात्मा की प्रत्यक्ष मदद की कमाल। मैं ब्रह्मा बाबा, शिव बाबा और परमआदरणीय दादी गुल्ज़ार जी सहित ब्रह्माकुमारी संस्था के समस्त भाई-बहनों का बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हँू।

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