कल्पतरूह परियोजना के तहत लगाए गए 230 पौधे, पर्यावरण के साथ मिट्टी बचाने का दिया संदेश

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एक बच्चे की तरह करें पौधों की पालना – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

कल्पतरूह परियोजना के तहत लगाए गए 230 पौधे, पर्यावरण के साथ मिट्टी बचाने का दिया संदेश

पौधारोपण के साथ पौधों के संरक्षण के लिए एप के माध्यम से 75 दिनों तक अपडेट करना इस परियोजना का उद्देश्य,अकलतरा निवासी अरूण सिंह के पोंड़ी-दल्हा स्थित 42 एकड़ की कृषि भूमि परिसर में किया गया वृक्षारोपण

पोंड़ी-दल्हा,छत्तीसगढ़: मनुष्य जीवन की रक्षा के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। एक व्यक्ति के जीवन भर ऑक्सीजन के लिए 400 पेंड़ की जरूरत होती है। लेकिन आज यह संख्या केवल 26 पर रह गई है जो कि भविष्य में और कम होने से गंभीर समस्या बन जायेगी। इसके लिए हर व्यक्ति को वृक्षारोपण करना चाहिए। हम घरों में जितने लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर बनाने में करते हैं उससे दोगुना वृक्ष लगाना भी चाहिए। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा। वृक्ष लगाकर उसका संरक्षण भी करना है। उक्त बातें ग्राम पोंड़ी-दल्हा में कल्पतरूह परियोजना के अंतर्गत आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में संदेश देते हुए स्थानीय ब्रह्माकुमारी पाठशाला की प्रमुख ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि वृ़क्षारोपण में ज्यादातर पौधे लगाकर छोड़ दिए जाते हैं। जबकि एक बच्चे की देखभाल तो मां के गर्भ से ही शुरू हो जाती है और जब बच्चा बड़ा हो जाता है, शादी भी हो जाती है तो भी माता-पिता को बच्चों की चिंता रहती है। इसी तरह कल्पतरूह परियोजना के तहत वृक्षारोपण के पश्चात् उसके संरक्षण के लिए मोबाइल एप के द्वारा 75 दिनों तक पेंड़ के पालन-पोषण की जानकारी भरकर अपडेट करना मुख्य उद्देष्य है। जिन्हें पौधों की पालना की जानकारी नहीं है उनके लिए भी इस मोबाइल एप में दिनोदिन की जानकारी निहीत है। इसमें व्यक्तिगत या सामूहिक पौधों का रजिस्ट्रेषन किया जा सकता है। पौधों के विकास के साथ व्यक्ति के मानसिक सशक्तिकरण के लिए भी एप हमें प्रतिदिन जानकारी देता है। जिसका पालन कर हम पौधों के संरक्षण के साथ अपने जीवन को भी मूल्यवान बना सकते हैं। दीदी ने उपस्थित सभी ग्रामवासियों से कहा कि वृक्षारोपण के कार्य में शुरू में मेहनत तो लगती है लेकिन जब उसका परिणाम हमारे सामने आता है तब हमें बहुत खुषी की अनुभूति होती है। किसान भाईयों को भी खेतों की मेंड़ पर छायादार वृक्ष लगाने की प्रेरणा दी और कहा कि वृक्ष जलवायु को फसलों के अनुकूल भी बनाता है साथ ही मिट्टी के कटाव को भी रोकता है। बिना किसी मान-सम्मान की इच्छा के पिछले 25 वर्षों से पौधारोपण का कार्य कर रहे भ्राता पुसऊ कश्यप जी ने कहा कि मेरा जीवन ही पौधों के लिए समर्पित है। उन्होंने अपने जीवन में घरेलू कार्य से अधिक प्राथमिकता वृक्षारोपण को दी। शास. कन्या शाला, पोंड़ी के पूर्व प्रधान पाठक चंद्रमोहन सिंह जी ने कहा कि ज्यादातर लोग इन कार्यां में रूचि नहीं लेते। वे पेंड़ काटना तो सहज मानते हैं लेकिन पेंड़ लगाने की अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। पहले के समय में बरगद-पीपल के पेंड़ को काटना मना होता था और उन्हें देवता मानकर पूजा जाता था। क्योंकि ये ऐसे वृक्ष हैं जो 24 घण्टे ऑक्सीजन देते हैं। लोगों में जागरूकता लाना, उन्हें समझाना बहुत कठिन कार्य है। जो दिखाई देता है वे उसी को मानते हैं। ऑक्सीजन हवा के रूप में प्राणवायु है। ब्रह्माकुमारी बहनें पर्यावरण रक्षा के लिए जनजागृति का ये बहुत सराहनीय व पुण्य का कार्य कर रही हैं। भूमि के मालिक अकलतरा निवासी अरूण सिंह ने उनकी भूमि पर किए जा रहे इस पुण्य कार्य के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। 42 एकड़ के उनके परिसर में आम के चार वैराइटी चैसर, तोतापल्ली, दषहरी व लंगड़ा के 25-25 पौधे, नीम, आंवला, कोषम व अनार के 20-20, कोइलार, इमली व अनार के 10-10 पौधों का रोपण किया गया। इन सभी पौधों का संरक्षण पोंड़ी ग्राम के मनीष भारद्वाज व उनके परिवार के द्वारा किया जायेगा। इसलिए अवसर पर ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन, ईश्वरी बहन, नीता बहन, मुन्नी सिंह समेत अन्य ग्रामवासी उपस्थित रहे।

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