स्पेशल सुधारगृह में सस्कार परिवर्तन अपराधमुक्त जीवन विषय पर प्रोग्राम

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सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल):माउंट आबू से आये हुए भगवान भाई ने कहा कि जो जैसा करता है वैसा फल पाता है। उन्होंने बताया कि हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं। यह हमारे विचार ही तो हैं कि किसी के लिए प्यार की भावना होती है, किसी के लिए नफरत की भावना होती है। यदि आप किसी व्यक्ति से अच्छा व्यवहार चाहते हैं और उसे बदलना चाहते हैं, तो उसे दुआएं दो उसके प्रति अच्छा सोचें, तो वह भी आपको दुआ देगा। यदि आपके अन्दर किसी के प्रति नफरत है और आप उसके प्रति बुरा चाहते हैं तो वह आदमी भी आपके बारे में बुरा सोचेगा तथा आपसे नफरत करेगा। जो दूसरों को दुख देता है उसे कभी सुख नही मिलता तथा जो दुसरों को सुख देता है उसे सदैव सुख मिलता है। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ  करने वाला बडा होता है। बदला लेने वाला दूसरों को दुख देने से पहले अपने आप को दुख देता है। सभी इंसान ईश्वर की संतान है तथा सभी एक महान आत्मा है, सभी संसार में अपना-अपना कर्तव्य करने के लिए आते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को यही सोचना चाहिए कि मुझे अच्छे कर्म करने के लिए संसार में जन्म लिया है, न कि बुरे कर्म करने के लिए। अत: हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। आज से 15 दिन इस बात का व्रत लो कि हे भगवान मुझे शक्ति दो, कि मैं किसी को दुख न दूं, तो आपके मन में अपने आप बदलाव आने लगेगा।

स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से बी के मुनमुन  बहन जी ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है जो भगवान से वेमुख कर देती है। अगर भगवान से सर्व सम्बन्धों से याद किया जाए तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शान्ति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।

 जेल अधीक्षक दीपक कुमार सार्की   जी   ने अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। माउन्ट आबू के बी के पुरुषोत्तम जी ने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारी का धन्यवाद किया।

सभी को कैदियों को साहित्य भी दिया अंत में मेडिटेशन भी करवाया, कुछ कैदियोने अपने अनुभव भी बताया । 

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