श्रीलंका से पधारे महाबोधि सोसाइटी ऑफ श्रीलंका फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बानगल उपतिस्स से मिली ब्रह्माकुमारीज् का प्रतिनिधिमंडल
ब्रह्मा कुमारीज विद्यालय माउंट आबू का वातावरण आज भी मुझे आकर्षित करता है”-महाबोधि सोसाइटी ऑफ श्रीलंका फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बानगल उपतिस्स थ्रो
भोपाल, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश शासन एवं श्रीलंका महाबोधि सोसाइटी सांची के सौजन्य से चेतियागिरी विहार सांची के 72वें वार्षिक उत्सव पर श्रीलंका से पधारे बानगल उपतिस्स थ्रो (प्रेसिडेंट,महाबोधि सोसाइटी ऑफ श्रीलंका फाउंडेशन) से ब्रह्माकुमारीज़ की स्थानीय शाखा सुख शांति भवन नीलबड़ की निदेशिका राजयोगिनी *ब्रह्माकुमारी नीता दीदी ने भेंट करते हुए उन्हें सुख शांति भवन पधारने का निमंत्रण दिया । साथ ही परमात्मा के सत्य परिचय के विषय में चर्चा करते हुए साझा किया कि *इस समस्त मनुष्य सृष्टि के बीज रूप परमात्मा पिता एक ही हैं जिन्हें ईश्वर,गॉड,अल्लाह,जिवोहा भिन्न-भिन्न नामो से पुकारते हैं एवं याद करते हैं।हम सभी एक पिता की संतान आपस में भाई-भाई है, तथा यह संपूर्ण विश्व ही हमारा परिवार है।हम सब का उद्देश्य उस परमात्मा के द्वारा बताए हुए शांति के मार्ग पर चलना और सर्व को यही मार्ग दिखाना है।
इस दौरान गुरु जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे लंबे समय से ब्रह्माकुमारी संस्थान से परिचित है। एवं दादी प्रकाशमणि जी (ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका) से उनकी भेंट एक हवाई यात्रा के दौरान हुई थी। उन्होंने बताया कि जब वह हवाई जहाज में एक समाचार पत्र पढ़ रहे थे तब उन्होंने दादी जी का फोटो उसमें देखा था और उन्होंने पाया कि उनकी पिछली वाली सीट पर ही दादी जी उपस्थित थे । जिसके बाद वह स्वयं जाकर उनसे मिले थे तथा माउंट आबू (ब्रह्माकुमारी मुख्यालय) का प्रोग्राम भी बनाया था। अपने 3 दिवसीय प्रवास प्रवास के दौरान उन्होंने वहां के शांत एवं सुंदर वातावरण की महिमा करते हुए बताया कि वह दिव्य वातावरण उन्हें आज तक आकर्षित करता है। साथ ही कहा कि जहां पर भी वे ब्रह्माकुमारीज के सेवाकेंद्र देखते हैं, उन्हें यही भावना आती है कि यह मेरी अपनी बहनों का घर है। अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 13 साल की उम्र से ही वे इस मार्ग पर चल रहे हैं तथा भारत में ही उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की, साथ ही भोपाल स्थित ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर भी वह सन् 1986 में गए थे। साथ ही उन्होंने बहनों को एक किताब भी भेंट की जिसमें अन्य सीनियर राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी बहनों के साथ उनका चित्र अंकित था। भेट के दौरान आदरणीय नीता दीदी जी द्वारा गुरुजी को ईश्वरीय उपहार एवं प्रसाद भी भेंट किया गया।