“जब भी मैं परेशान दुखी होती हूँ तो शिव बाबा का ध्यान करती हूँ और मुझे बहुत सुकून मिलता है।” विधायक हल्का राई सोनीपत
सोनीपत,हरियाणा: “जब भी मैं परेशान दुखी होती हूँ तो शिव बाबा का ध्यान करती हूँ और मुझे बहुत सुकून मिलता है। 27 वर्ष पूर्व मैं माउंट आबू गयी थी और मन में संकल्प किया था कि जब भी मौका मिला तो पुनः यहाँ आऊँगी। मैंने वहाँ से यही सीखा कि मुझे खुद को बदलना है। शिव बाबा की याद से मैं खुद को उलझनों मुक्त कर लेती हूँ। मैं पुनः आबू जरूर आऊँगी। यह शब्द कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सोनीपत (हल्का राई) की विधायक बहन माननीय कृष्णा गहलावत जी ने ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेक्टर 19 स्थित विश्व कल्याण सरोवर आश्रम सोनीपत द्वारा आयोजित “नया नजरिया…. नये नजारे ” कार्यक्रम में कही। दीप प्रज्ज्वलन में मुख्य अतिथियों के साथ साथ शहर के अनेक गणमान्य अतिथियों ने हिस्सा लिया।
माउंट आबू से पधारे मुख्य अतिथि ब्रह्माकुमारी ऊषा दीदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “जैसे जैसे ये वर्ष अपने अंतिम चरण में आ रहा है वैसे वैसे हम अपने नजरिये को भी परिवर्तित करते जाएँ। जीवन में तूफान तो आएंगे तो उसे तोहफा समझने से हम अनुभवी बन मैच्योरिटी से सॉल्व करते जायेंगे। अनुभव के प्रसाद से ही बहुत से लोग तूफानों में फंसने से बच जाएंगे। किसी ने कीचड़ में कमल देखा किसी ने भी दाग (परेशानी)। हमारे देखने का नजरिया हमें बताता है कि समस्या को हमने किस रूप में देखा। समस्या को सॉल्यूशन रूप में देखेंगे तो उलझनों से बच जाएंगे नहीं तो समस्या पुनः सामने खड़ी हो जाएगी। समस्या को सकारात्मक रूप से देखें तो बड़े से बड़ा पहाड़ भी राई और फिर रुई बन जाएगी। नजरिये को बदलो तो नजारे बदल जाएँगे। आने वाला वर्ष भी सकारात्मक हो जाएगा। वाह वाह के गीत गाओ तो देखो हर चीज कैसे वाह वाह हो जाएगी। देखो मगर प्यार से बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला, दोनों वाक्य एक ही उद्घोष कर रहे हैं परंतु एक नकारात्मक रूप लिये हुआ है और दूसरा सकारात्मक। तो हमें जीवन में आनंद से सकारात्मकता को अपनाएं। जीवन भी एक सफर है, सफर में तो उतार-चढ़ाव आते ही हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव आना नॉर्मल है। जरूरत दोनों की है। इसलिए दुखी होने के बजाए जीवन का आनंद लेना चाहिए। परिवर्तन जगत का नियम है। इसलिए परिस्थिति आने पर दुखी नहीं होना है। दुख के बाद सुख आना ही है। आने वाले वर्ष के लिए अपने आप से कमिटमेंट करें कि हमें हर चीज को सुन्दर देखना है। उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है इससे दुखी नहीं होना है। एक सोच नजरिये को बदल देती है जिससे नजारे बदल जाते हैं। हम अपनी चिंतन की धारा को बदलें तो हम अपने भविष्य को सुनहरा बना सकते हैं। “
कार्यक्रम का शुभारंभ करनाल से पधारे विजय भाई के सुंदर दिव्य गीतों से हुआ। तिलक, बैज व पुष्प गुच्छों से मंचासीन अतिथियों का सम्मान पूर्वक अभिनंदन किया गया। फिर कुमारी निर्वी ने नृत्य से सभी अतिथियों का स्वागत किया। छोटे बालक दिव्यांश ने अपने गीत और कुमारी रूहानी ने अपने नृत्य से सभा का मनोरंजन किया। मंच का सफल संचालन ब्रह्माकुमारी लता दीदी ने किया तथा ब्रह्माकुमार सतीश भाई ने सभा और अतिथि जन का हृदय से धन्यवाद दिया।