प्रयागराज : अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी ने आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा खुशहाल जीवन विषय पर विशाल कार्यक्रम को किया संबोंधित

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प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वाधान में शहर के न्यू कैंट स्थित पोलो ग्राउंड में आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा खुशहाल जीवन विषय पर ब्रह्माकुमारीज की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी ने अपने विचार रखे।

ब्रह्माकुमारी शिवानी ने कार्यक्रम की शुरुआत राजयोग के अभ्यास द्वारा कराते हुए कहा कि जैसे शरीर की फिटनेस के लिए हम बीच-बीच में थोड़ी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज आदि करते हैं, इसी तरह बीच-बीच में यदि हम अपने मन को शांत कर परमात्मा से शक्ति लें तो हम मानसिक तौर पर लंबे समय के स्वस्थ रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि आप किसी बच्चे से पूछो कि वह क्या बनना चाहता है तो हर कोई डॉक्टर इंजीनियर बोलेगा और माता-पिता भी बच्चे को यही बनाना चाहते हैं। फिर शिवानी दीदी ने कहा कि हममें से फरिश्ता कौन बनना चाहता है?  फरिश्ते की विशेषता बताते हुए शिवानी दीदी ने कहा फरिश्ता वह है जो किसी के परेशानी को खत्म कर दे, भले ही उसका उस व्यक्ति से कोई लेना-देना ना हो। हममें से हर कोई, हर व्यक्ति से कुछ न कुछ चाहता है।हम रिश्ते में आते हैं क्योंकि हमें कुछ चाहिए, हमारे रिश्ते बिगड़ते हैं क्योंकि हम कहते हैं कि हमको रिश्ते में प्यार नहीं मिल रहा, हमको उनसे सम्मान नहीं मिल रहा, परंतु क्या हम फरिश्ते की तरह दूसरों को निस्वार्थ भाव से देते भी हैं। धन देना बड़ी बात नहीं है परंतु क्या हम दूसरों को निस्वार्थ भाव से प्यार, शुभ भावना , धैर्य हिम्मत देते हैं?

शिवानी दीदी ने कहा आज भारत विश्व गुरु बनने की राह पर है सारी दुनिया में इस बात की चर्चा है कि अगली महाशक्ति भारत होगा। परंतु साथ में  दुनिया की स्थितियां ऐसी है कि हर कोई सोच रहा है अब पता नहीं क्या होगा।शिवानी दीदी ने कहा जैसे सुबह से शाम शाम से सुबह होती है इस तरह परिवर्तन इस सृष्टि का नियम है हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि सतयुग के बाद त्रेता,द्वापर ,कलयुग आते हैं और कलयुग के बाद पुनः सतयुग आता है। परंतु सतयुग कैसे आएगा? सतयुग कोई बाहर के परिवर्तन से, विज्ञान के चमत्कार से नहीं आएगा लेकिन वह हमारे आंतरिक परिवर्तन से ही आएगा।  जब एक परिवार में लोग एक दूसरे को प्यार देते हैं,सम्मान देते हैं ,खुशी देते हैं तो कहते हैं इनका परिवार तो जैसे स्वर्ग है। परंतु जहां आपस में कटुता है, लोग एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं, एक दूसरे से बात नहीं करते, तो कहते हैं कि जैसे वहां तो जैसे नर्क है। तो नरक की रचना हमने ही किया है अपने ही कर्मों द्वारा। इस तरीके से संसार में सतयुग भी हम ही अपने कर्मों के द्वारा लायेंगे।

शिवानी दीदी ने अपने मन के ऊपर ध्यान रखने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा जैसे एक सफेद कपड़ा यदि हम दिन भर पहन के रखें तो शाम तक गंदा हो जाएगा । परंतु यदि हम ध्यान देते रहें तो कम से कम हम उस पर दाग नहीं लगने देंगे। इसी तरीके से यदि हम अपने मन पर क्रोध का, लालच का,  अलसी आदि का दाग न लगने दे तो हम अपने मन को भी स्वच्छ रख सकते हैं। और अपने जीवन में सुख शांति का अनुभव कर सकते हैं।

शिवानी दीदी ने कहा कि लोग कहते हैं भगवान भाग्य लिखता है परंतु वास्तव में भगवान भाग्य नहीं लिखता लेकिन हम ही अपने कर्मों के द्वारा अपना भाग्य स्वतः लिखते हैं। हमने ही अपने कर्मों के द्वारा आज जो है वह पाया है और हम ही अपने कर्मों के द्वारा जो चाहे वह पा सकते हैं। भगवान हमें हिम्मत देता है,ताकत देता है, साथ देता है,एक पिता की तरह एक मां की तरह। जैसे हर मां-बाप अपने आप को बच्चों को हिम्मत देते हैं खुशी देते हैं परंतु कर्म तो बच्चे को खुद ही करना पड़ता है और उसका फल भी वह स्वतः ही प्राप्त करता है इसलिए शिवानी दीदी ने अपने आप को परिवर्तन करने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। और दिन में बीच-बीच में मेडिटेशन करने का सलाह दिया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान , पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल,सदस्य लोक सेवा आयोग कल्पराज सिंह, उपेंद्र जोशी जीएम उत्तर मध्य रेलवे, प्रकाश पाड़िया न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद, न्यायमूर्ति समित गोपाल, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा , वेंकटेश एवं प्राचार्य उड्डयन ट्रेनिंग कॉलेज, पूर्व शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह गौड़ सहित तमाम गणमान्य उपस्थित रहे।

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