कुतरा (ओड़िसा):
आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा हमें सकारात्मक विचार मिलते है | सकारात्मक विचारो से स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते है | नकारात्मक विचारों से क्रोध कि उत्पति होती है | क्रोध के कारण मनोबल और आत्मबल कमजोर हो जाता है |क्रोध ही अपराधो के मूल कारण बन जाते है | सकारात्मक चिन्तन से हमारा मनोबल को मजबूत बन सकता हैं। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती जिससे कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। सकारात्मक चिन्तन द्वारा ही हम क्रोध मुक्त, तनाव मुक्त, स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे|
· स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र कुतरा (ओड़िसा) द्वारा आयोजित
· स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र में सकारात्मक विचारो से स्वस्थ और सुखी जीवन विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई ने कहा कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचार, शंका, कुशंका, ईर्ष्या, घृणा, नफरत अभिमान के कारण ही की उत्पति होती है | क्रोध से दिमाग गरम हो जाता है जिससे दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरते है और इससे ही मानसिक बीमारियां , शरीर की अनेक बिमारिया हो जाती है जीवन में रूखापन आता है | क्रोध से ही आपस में सम्बधो में कडवाह्ट आती है , मन मुटाव बढ़ जाता है | उन्होंने कहा की क्रोध से घर का वातावरण ख़राब हो जाता है और पानी के मटके भी सुख जाते है | जहा क्रोध है वहा बरकत नही हो सकती है | इसलिए वर्तमान में क्रोध मुक्त बनाना जरुरी है | क्रोध करने से ही अनिद्रा , अशांति जीवन में आती है तनाव बढ़ता है जिससे व्यक्ति नशा व्यसनों के अधिन हो जाता है |
भगवान भाई जी ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताते हुए कहा कि वर्तमान में हमे आध्यात्मिकता को जानने की जरुरी है आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा स्वयं को यर्थात जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को और कर्तव्य को जानना ही आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सकारात्मक विचार मिलते है जिससे हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते है।
मुख्य अतिथि श्रीमती मोनिका होनो गेल चर्च जी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा वर्तमान में मनुष्य जीवन में लक्ष्य निर्धारित नहीं होता इसलिए मनुष्य तनाव में आता है और तनाव से जीवन समाप्त होता है |
विशिष्ट अतिथि भ्राता संतोष साहू आय टी आय निदेशक जी ने कहा कि मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता हे | यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के भुवनेश्वरी बहन जी ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
राजगांगपुर ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के बीना बहन जी ने ब्रह्माकुमारी संस्था का परिचय दिया |
कार्यक्रम कि शुरुवात दीप प्रज्वलन कर क्या और बी के बहन जी गुलदस्ता और तिलक लगाकर स्वागत किया |
कार्यक्रम के अंत में मेडिटेशन किया | काफी भाई बहनों ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया |