कामठी: सेवाकेंद्र पर धूमधाम से मनाया 89वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव

0
38

ह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्र पर धूमधाम से मनाया  89वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव-  शिव ध्वजारोहण कर भाई-बहनों को कराई प्रतिज्ञा

कामठी,महाराष्ट्र:- ब्रह्माकुमारीज, न्यू सद्भावना भवन  में 89 वीं शिवजयंती धूमधाम से मनाई गई। परमात्मा शिव के गुणों को प्रकाशित करने हेतु अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित हुए। शिव ध्वजारोहण कार्यक्रम दीप प्रज्वलन व सांस्कृतिक प्रस्तुति से संपन्न हुआ।

इसके अलावा अनेक मंदिर , सार्वजनिक स्थलों पर चित्र प्रदर्शनी और प्रवचनों के कार्यक्रम रखे गये।

कामठी सेवाकेंद्र संचालिका ब्र.कु प्रेमलता बहन ने शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए बताया कि शिव परमात्मा की याद राजयोग का निरंतर अभ्यास हमें अपनी कर्मेंद्रियों का राजा बनाती है व हमें मनोविकारों, व्यसनों व मानसिक रोगों से मुक्ति दिला कर सकारात्मक बनाता है इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।

*शिव पर कांटों के समान चुभने वाली बातें अर्पित कर दें* 

महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है। इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी। 

एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़कर चलते हैं तो वह निश्चिंत रहता है। इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंपकर जीवन में चलते हैं तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्यात्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्नान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं। जिसे हम युगों-युगों से पुकार रहे थे, जिसकी तलाश में हमने वर्षों तक जप-तप और यज्ञ किए। आज वही भगवान इस धरा पर पुन: अवतरित हो चुके हैं। अपने पांच खोटे सिक्के अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को प्रभु को अर्पण कर रोज ईश्वर के दर पर एक बार आना अर्थात् भगवान के घर में एक बार जरूर आना।

 *ज्योतिर्बिंदु स्वरूप हैं परमात्मा* 

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वह परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। 

परमात्मा के अवतरण का यादगार पर्व मनाते सकारात्मक जीवनशैली के लिये दृढ प्रतिज्ञा के साथ नारे लगायें, शिव भोलेनाथ के गीतों पर डान्स प्रस्तुत किये और शिव ध्वजारोहण किया गया| 

इस समय पूर्व विधायक श्री देवरावजी रडके, माजी सरपंच देवरावजी आमधरे, वैशाली डोनेकर , गट शिक्षणाधिकारी अल्का सोनवाणे, प्राचार्य हनुमंत रेवतकर, प्राध्यापिका संगीता रेवतकर, अनिता मेडम, सहित सैंकडो की संख्या मे भाई बहनो की उपस्थिती थी| कार्यक्रम में स्वागत ब्र. कु. शिलू बहन, कांचन बहन और ब्र. कु. रेखा बहन ने किया| कार्यक्रम का संचालन और आभार ब्र. कु. वंदना बहन ने किया|

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें