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मुंबई घाटकोपर: विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर Big FM के सामाजिक अभियान “सुट्टा छोड़ दे ना यार” में राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज की प्रेरक सहभागिता

मुंबई घाटकोपर महाराष्ट्र। हमारे देश में विभिन्न आयु वर्गों में तंबाकू और धूम्रपान की लत एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इसी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से, देश के प्रमुख रेडियो नेटवर्क्स में से एक, BIG FM ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर “सुट्टा छोड़ दे ना यार” नामक एक सामाजिक अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य धूम्रपान के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करना और तंबाकू की लत छोड़ने के लिए प्रेरित करना है। इस पहल में रोचक गतिविधियाँ, विशेषज्ञों की सलाह और प्रेरणादायक सत्र शामिल हैं, जो लोगों को अपनी आदतें छोड़ने में सहायता प्रदान करते हैं।

इस अभियान के अंतर्गत  Big FM के RJ दिलीप ने  राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज – आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता , सुप्रसिद्ध स्तंभकार और ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मीडिया विंग के राष्ट्रीय समन्वयकके साथ एक विचारोत्तेजक संवाद / पॉडकास्ट किया । इस संवाद में धूम्रपान की लत से जुड़ी भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई।

राजयोगी निकुंज ने बताया कि आज के समय में तनाव और चिंता आम हो चुके हैं, जिसकी वजह से कई लोग तंबाकू को भावनात्मक सहारे या “escapism” के रूप में अपनाते हैं। लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ‘सच्चा समाधान बाहरी साधनों में नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और मानसिक दृढ़ता में समाया है।’ उन्होंने समझाया कि आत्म-अनुशासन और मानसिक शक्ति को विकसित करना, इस आदत से छुटकारा पाने का उपाय है | उन्होंने श्रोताओं को यह विश्वास दिलाया कि “हर परिवर्तन की शुरुआत साहस के एक छोटे से कदम से होती है” और यह भी याद दिलाया कि धूम्रपान छोड़ना केवल एक शारीरिक लड़ाई नहीं, बल्कि आत्मा को बुरे नशीले पदार्थों की आसक्ति से आजादी दिलाने की ओर एक आध्यात्मिक यात्रा है।

इस पॉडकास्ट में कॉर्पोरेट्स में  “सुट्टा ब्रेक्स” की जगह संगीतमय अंताक्षरी, साथियों के अच्छे गुणों की सराहना करना जैसे स्वस्थ एवं रचनात्मक विकल्प अपनाए जा सकते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि मेडिटेशन, तंबाकू की लत से मुक्त होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सचेत श्वास लेना, स्व-प्रेरणा वाले सकारात्मक संकल्प दोहराना, अंतर्मंथन करना, अपने विचारों को डायरी में लिखना, और प्रकृति के बीच समय बिताना जैसी साधारण दैनिक आदतें, मन को शांत करने में सहायक होती हैं और लत को छोड़ने के संकल्प को मजबूत बनाती हैं।

“सुट्टा छोड़ दे ना यार” अभियान यह दिखाता है कि तंबाकू छोड़ना केवल स्वास्थ्य से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि एक नए, सशक्त और आत्मनिर्भर जीवन की शुरुआत है।

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