एक विशाल जंगल था। उस जंगल में खरनख नाम का शेर रहता था। वह शेर जंगल के जानवरों को मारकर अपनी भूख मिटाता था। एक बार उसने शिकार करने का बहुत प्रयत्न किया किन्तु उसके हाथ कोई भी शिकार नहीं आया। अब वह भूख से परेशान हो गया था। धीरे-धीरे सूरज डूबने लगा, शेर जिस जगह शिकार करने का प्रयत्न कर रहा था वहीं पास में एक गुफा भी थी। खरनख शेर उस गुफा में चला गया और सोचने लगा इस गुफा में कोई ना कोई जानवर अवश्य रहता होगा और वह शाम को अपनी गुफा में ज़रूर आयेगा और जैसे ही वह गुफा में प्रवेश करेगा मैं उसका शिकार कर लूंगा और मेरी भूख मिटा लूंगा। जब तक वह जानवर इस गुफा में नहीं आ जाता तब तक मैं यहीं आराम करता हूँ। वह गुफा एक गीदड़ की थी, उस गीदड़ का नाम दधिपुच्छ था। शाम होने पर गीदड़ अपनी गुफा के पास आ गया और जैसे ही वह गुफा में घुसने वाला था उसने देखा गुफा के पास शेर के पंजों के निशान गुफा के अन्दर जाने के तो हैं परन्तु गुफा से बाहर निकलने के निशान नहीं हैं। दधिपुच्छ नामक गीदड़ समझ गया कि उसकी गुफा में कोई शेर गया तो है परन्तु वह वापस आया या नहीं इसका पता कैसे चलेगा।
गीदड़ ने उपाय सोच लिया। वह गुफा के पास गया और ज़ोर से बोलने लगा- ”मेरी बोलने वाली गुफा आज तू शांत क्यों है, तूने मुझसे कहा था कि अगर मैं लौट आया तो तू मुझसे बात करेगी, तू मुझसे बात क्यों नहीं कर रही है?” गीदड़ को बोले हुए कुछ समय हो गया परन्तु गुफा ने कोई जवाब नहीं दिया। गीदड़ ने गुफा के सामने गुफा को संबोधित करते हुए दुबारा फिर से वही बातें कही जो थोड़ी देर पहले की थी। गीदड़ की बातें सुनकर शेर को लगा कि शायद यह गुफा खुद बोलती हो जब भी गीदड़ आता हो तो यह इससे बात करती होगी परन्तु आज मेरे डर से यह बोल नहीं रही है। अगर यह गुफा नहीं बोली तो गीदड़ को शक हो जाएगा और वह इधर से चला जायेगा और मैं भूखा रह जाऊंगा। इसलिए मैं ही बोल देता हूँ और यह सोचकर शेर स्वयं बोलने लगा- आओ गीदड़ मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी, अन्दर आ जाओ। जैसे ही अन्दर से आवाज़ आई गीदड़ समझ गया कि अन्दर कोई बेवकूफ शेर है जो गीदड़ के गुफा में जाने का इंतज़ार कर रहा है और अन्दर जाते ही उसका शिकार कर लेगा। गुफा के अन्दर से आती आवाज़ सुनकर गीदड़ वहाँ से भाग गया और शेर की गर्जना सुनकर गुफा के आसपास के जानवर भी वहाँ से चले गए। खरनख नामक शेर यह जानता था कि गुफा नहीं बोल सकती फिर भी शेर ने अपनी मूर्खता से उस गीदड़ को भगा दिया जिसे वह खाना चाहता था। गुफा को छोड़कर शिकार की तलाश में चला गया और गीदड़ को अपनी गुफा फिर से मिल गई।
शिक्षा : शेर, गीदड़ और बोलने वाली गुफा की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अपनी बुद्धिमानी से आने वाले संकट से बचा जा सकता है।


