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बिलासपुर : हर कर्म में कुशलता के लिए जरूरी है योग – रूपनारायण सिन्हा, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ योग आयोग

स्वस्थ एवं सुखी जीवन का उपहार – योग” विषय पर 21 दिवसी योग शिविर का दीप जलाकर शुभारंभ किया…

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। शिव अनुराग भवन, राज किशोर नगर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ राजकिशोर नगर द्वारा 21 दिवसीय योग शिविर का आयोजन 1 जून से किया गया है। “स्वस्थ एवं सुखी जीवन का उपहार योग” विषय पर आयोजित इस योग शिविर का शुभारंभ छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष रूप नारायण सिन्हा, सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी, डिप्टी कलेक्टर – हर्ष पाठक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य शरद बलहाल, संदीप बलहाल, ब्रह्माकुमारी रूपा बहन, गायत्री बहन, समीक्षा बहन, पूर्णिमा बहन, समाज कल्याण विभाग से भांगे जी, जिला पुनर्वास केंद्र अधिकारी- एपी गौतम, एड प्रयास के डायरेक्टर-विनोद पाण्डेय, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक प्रीतपाल सिंह, छत्तीसगढ़ योग आयोग के जिला प्रभारी – अविनाश दुबे, सक्षम संस्था, सुजाता बहन गायत्री परिवार, लिली ठाकुर ने दीप जगाकर किया। ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने योग के क्षेत्र से जुड़े विभिन्न संस्थाओं से पधारे योग प्रशिक्षकों व अध्यक्ष महोदय को एक दूसरे से परिचित कराया व संस्था के मुख्यालय माउंट आबू जाने के लिए निमंत्रण दिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रूपनारायण सिन्हा ने कहा कि अपने कार्य को कुशलता पूर्वक करना ही योग है। राष्ट्र की पहली इकाई व्यक्ति है राष्ट्र को बदलने के लिए पहले व्यक्ति को बदलना पड़ेगा। परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी है कि अपने परिवार के सदस्यों को समय देना। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह बिना समाज, परिवार, गुरुजन के बिना मार्गदर्शन के ऊँचे ओहदे पर जाना तो दूर कुछ भी नहीं कर सकता है।

भगवान ने तीन पन्नों में से केवल एक पन्ना हमें दिया है, जन्म और मरण दो पन्ने अपने पास रखे हैं तीसरा पन्ना- जीवन में क्या करना है? यह हमें सौंपा है। सुबह 5 बजे उठना है या 11:00 उठना है, मांसाहारी बनना है या शाकाहारी बनना है यह परमात्मा तय नहीं करेंगे। योग ध्यान करते हुए जीवन को संवारना है या तनाव, बीपी, शुगर पनपाते रहना है। यह हमारे ऊपर ही निर्भर है। शरीर को स्वस्थ रखने में जो आनंद है वह आनंद धन में भी नहीं, कहीं भी नहीं है।

मातृशक्ति को हार्ट अटैक कम आता है क्योंकि बहनें- माताएँ संवेदनशील होती हैं रो कर मन हल्का हो जाता है। इसलिए भाइयों को भी मेरा सुझाव है की रोने की इच्छा हो रही है या जीवन में ऐसा प्रसंग आ गया तो रो लें और हल्के हो जाए, बनावटीपन में ना रहे या सहन करके दबाए नहीं। 

*आसन, राशन, भाषण और शासन ऋषि मुनियों से मिला उपहार है….* 

जिम और योग में अंतर है शारीरिक सुंदरता के लिए जिम करते हैं लेकिन कई बार जिम करने के बाद हार्ट अटैक देखा गया है। और आसन प्राणायाम में सांसों की गतिविधियों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को ठीक रखा जाता है। खड़े होकर, बैठकर, पेट के बल व पीठ के बल किए जाने वाले आसन हमारे ऋषि मुनियों के शोध हैं। योग निद्रा ऐसी विधा है जिसमें आधे घंटे में हम 7 घंटे की नींद पूरी कर लेते हैं। दूसरा राशन अर्थात् सात्विक भोजन। रासायनिक खाद्य पदार्थों की जगह यौगिक खाद्य पदार्थ का प्रयोग अधिक करें। तीसरा है भाषण। ये नेता बनकर भाषण करने वाली बात नहीं बल्कि शांति और मधुरता रूपी बोल से है। पहले क्रोध को ठंडा करना वाणी पर नियंत्रण। एक शब्द से गलत प्रयोग से ही महाभारत हो गया। चौथा है अनुशासन। अनु अर्थात छोटा। अपने जीवन के लिए छोटे-छोटे नियम बनाकर रखें। नियमों का पालन अर्थात अनुशासन ही देश को महान बनाता है।

अंत में मंजू दीदी ने ब्रह्मा कुमारीज एवं भारत सरकार के संयुक्त प्रोजेक्ट नशा मुक्त भारत अभियान के तहत नशा मुक्ति शपथ दिलाया व सभी को ध्यान की अनुभूति भी कराई। गौरी बहन ने नृत्य के माध्यम से योग करो स्वस्थ रहो का संदेश दिया। रूपा बहन व समीक्षा बहन ने सभी को भोग वितरित किया।

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