झोझूकलां (हरियाणा): वास्तव में योग वो पवित्र शक्ति है जो सारी मानसिक अशुद्धियों को जला भस्म कर सकारात्मक ऊर्जा के साथ रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा देता है यह उद्गार 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम “एक पृथ्वी एवं स्वास्थ्य के लिए योग तथा नशा मुक्ति योग युक्त हरियाणा ” विषय पर हरियाणा योग आयोग, जिला प्रशासन एवं आयुष विभाग चरखी दादरी व ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र झोझूकलां के संयुक्त तत्वावधान में सेठ किशन लाल वाला मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा राजयोग आपके अंदर की दिव्यता को विकसित करने और निखारने का सुंदर तरीका है। बस हम अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा से जुड़कर अपनी आंतरिक शक्तियों का विकास करें तो हमें अंदर से खुशी और शांति की अनुभूति होने लगेगी यही योग है। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए प्रोटोकॉल प्रशिक्षण योग शिक्षक बिशन सिंह आर्य व मित्रसेन आर्य ने अनुलोम विलोम कपालभाति ताड़ासन आदि का योग अभ्यास करवाया और कहा कि कहा कि योग को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए क्योंकि आज हमारे नौजवान रास्ता भटक रहे हैं उनको सही दिशा देने का कार्य योग के द्वारा ही संभव है।
ब्रह्माकुमारी वसुधा ने कहा कि योग मन के जख्मों को ठीक करने का मरहम है। योग हमें अंदर के अहम की आवाज से दूर कर परमात्मा आवाज सुनने में मदद करता है। झोझू सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने योगाभ्यास करवाते हुए कहा की वर्तमान समय की आवश्यकता योग है जिससे हम संयमित जीवन जीने की कला सीख सकते हैं। उन्होंने कहा की स्वच्छ तन व शुद्ध मन रखने का संसाधन है योग । योग से हम अपनी शारीरिक व्याधियों को तो समाप्त करते ही हैं लेकिन साथ साथ मन में भी सकारात्मक ऊर्जा को भरते हैं जिससे ही स्वच्छ व स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है।
झोझूकलां पंचायत समिति सदस्य कविता बीडीसी ने कहा कि शारीरिक व मानसिक विकास करता है योग जिससे हमारे शरीर की काया निरोगी होती है और मन के विचार शुद्ध होते है रामबास सरपंच प्रतिनिधि अशोक शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की है उसके लिए केवल एक मात्र साधन है योग।
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के झोझूकलां खंड प्रभारी मा. सुनील कुमार ने आज के युवाओं की चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज युवा जवान होते ही बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहा है जिसका कारण बचपन से ही अनेक प्रकार के बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि व्यसनों के साथ साथ अनावश्यक और व्यर्थ बातों में लिप्त होना। इनसे से छुटकारा हम मेडिटेशन के द्वारा पा सकते हैं क्योंकि मेडिटेशन हमें आंतरिक रूप से सशक्त बनाता है।





