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सुपौल: नेपाल देश के मधेश प्रदेश राज्य के सप्तरी जिला के राजबिराज क्षेत्र में और बिहार राज्य के सुपौल जिला के पर्सा माथो क्षेत्र में नशा मुक्त भारत अभियान

सुपौल,बिहार: 9 जून 2025 को नेपाल देश के मधेश प्रदेश राज्य के सप्तरी जिला के राजबिराज क्षेत्र में  और बिहार राज्य के सुपौल जिला के पर्सा माथो क्षेत्र में नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत चली सेवाओं की रिपोर्ट
1. राजबिराज, ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र में भाई बहनों के लिए प्रशिक्षण सत्र  https://drive.google.com/drive/folders/11YVW5ao7o5tUZHGBu4bB0uw4kBvrbQOe?usp=sharing
2. SSB रिक्रूट प्रशिक्षण केंद्र, पर्सा माथो में 265 समस्त भारत से उपस्थित हुए ट्रेनिस के लिए  https://drive.google.com/drive/folders/1h4zvRZ-O4p5MY_H583QcWRVhVWxYMNy8?usp=sharing

इन कार्यक्रमों द्वारा सभी के साथ एक संवाद स्थापित करते हुए नशों से होने वाली मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और नैतिक विकृतियों के बारे में बी. के. राजीव (मेडिकल विंग वक्ता) ने जागरूक किया। इन कार्यक्रमों के दौरान एक निष्कर्ष सामने आया की नशे का मुख्य कारण किसी न किसी प्रकार का मनुष्यों में बढ़ता हुआ विकार अथवा तनाव है और इस बीमारी का कारगर इलाज आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही है।  यदि हरेक को खुद की असीम शक्तियों और उसकी उपयोगिता से रूबरू करा दिया जाए तो वह व्यक्ति समाज को सुसंगठित कर भारत देश की गरिमा को ऊंचाइयों की शिखर तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा सकता है।   कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य – अपनी भावी युवा पीढ़ी को उसके अंदर छिपी हुई विशेषताओं से रूबरू कराना था और यदि ऐसा किया जाए तो हर बच्चा अपने अंदर छिपी हुई अनंत प्रतिभाओं को महसूस करते हुए नशीले पदार्थों व मोबाइल की लत से खुद को बचाकर समाज में अपना योगदान देकर सुंदर समाज का गठन कर सकता है।

व्यावहारिक सुधारात्मक प्रशिक्षण सत्रपहला कदम – वीडियो शो दिखाकर शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के व्यक्तिगत अनुभव साझा किए गए एवं राजयोग द्वारा लोगों के जीवन में आए बदलाव की अनुभूतियाँ सबके सामने उजागर की गईं।दूसराकदम – खुद से प्यार करने का प्रशिक्षण दिया गया जिसका सभी ने आनंद लेते हुए रोजाना अपनी दिनचर्या में कम से कम 20 बार शामिल करने का वादा किया। यदि कोई भी इसका निरंतर अभ्यास करे तो अवश्य ही उसका मन प्रफुल्लित रहेगा और वह अपने लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र कर सफलता प्राप्त सकता है।तीसरा कदम – ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना सिखाया गया जिससे उनके अंदर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता की भावना उत्पन्न हो।चौथा कदम – हर एक अपने जीवन में आज से एक सकारात्मक नशा अवश्य धारण करे जैसे की संगीत, नृत्य, प्राणायाम, किसी भी खेल लेकिन मोबाइल गेम्स नहीं, भाषण करना, कहानी लेखन, कला एवं शिल्पकारी,   तैराकी, कुंग फू कराटे, आदि आदि।पांचवाकदम – इन बुराइयों से बचने की शपथ लेते हुए आजीवन भर इन्हें निभाने के फायदे का अनुभव कराया गया।छठवांकदम – युवा अपने अभिभावकों को इससे छूटने के लिए प्रेरित करते हुए शपथ दिलवाये।सातवां कदम – गणित के सरल लेकिन अति कारगर सिद्धांतों को निजी जीवन में कैसे उपयोग करें ताकि क्षेष्ठता की उच्च कोटि को प्राप्त किया जा सके।आठवां कदम – राजयोग की अनुभूति और उसे सीखने के लिए प्रेरित किया गया।  
तत्पश्चात सभी लोगों को इतना जागरूक एवं सशक्त किया गया कि वह अपने सम्बन्धियों को भी इन नशीले पदार्थों से बचाने की भूमिका निभा सकें, तभी हमारे समाज और भारत का विश्व गुरु बनने का स्वप्न साकार होगा। अंत में सभी ने राजयोग का अभ्यास किया एवं इसे सीखने की इच्छा भी जाहिर की। सभी लोगों ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए आगे भी जारी रखने के लिए आग्रह किया।
इन कार्यक्रमों का सफल आयोजन करने में सिमराही बाजार सेवा केंद्र (Certificate No. 3369) की राजयोगिनी बी. के. बबीता सहित बी. के. किशोर और सभी भाई-बहनों का अथक सहयोग रहा।

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