प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा “मानसिक स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच” पर सेमिनार का आयोजन
बहादुरगढ़, हरियाणा: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, सेक्टर 2 सेवा केंद्र बहादुरगढ़ द्वारा सेक्टर-6 स्थित ECHS पॉलीक्लिनिक (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) में आज एक प्रभावशाली सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका मुख्य विषय था “मानसिक स्वास्थ्य एवं मन-शरीर का संबंध”। यह कार्यक्रम न केवल पूर्व सैनिकों के लिए लाभकारी रहा, बल्कि सभी उपस्थित चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ और मरीजों के लिए भी एक आत्मचिंतन और जागृति का अवसर बना। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे करनल राजेन्द्र सिंह जी ने ब्रह्माकुमारीज़ से पधारीं दीपा दीदी और संदीप भाई का पुष्पगुच्छ भेंटकर हार्दिक स्वागत किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि “आज जब चारों ओर तनाव, भय, चिंता, अवसाद जैसी नकारात्मक परिस्थितियाँ बढ़ रही हैं, ऐसे समय में ब्रह्माकुमारी संस्थान गांव-गांव, गली-गली में लोगों को मानसिक रूप से सशक्त करने का अनुपम कार्य कर रहा है।”
इस अवसर पर डॉक्टर प्रणव शेखर, डॉक्टर जयंत कुमार, नायब सूबेदार करतार सिंह, राजबीर सिंह, संदीप कुमार, महेन्द्र सिंह, खेम सिंह, मीर सिंह, गणपत राव, संतरा देवी, सुनीता, सुमन, रूपा, नीतू, बिंदु, प्रमोद, मोतीलाल सहित 70-80 से अधिक सदस्य, डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और मरीज उपस्थित रहे। सेवा केंद्र से पधारीं ब्र. कु. दीपा दीदी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “शारीरिक तंदरुस्ती के लिए मन का शांत और संतुलित रहना बहुत आवश्यक है। जब मन खुश होता है, तब शरीर स्वयं स्वस्थ रहने की दिशा में काम करता है।” उन्होंने आगे बताया कि “मन में बार-बार यह संकल्प करना कि ‘मैं खुश हूँ’, ‘मैं परमात्मा की संतान हूँ’, ‘मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है’ — इस प्रकार की सकारात्मक सोच से मानसिक ऊर्जा का स्तर अपने आप बढ़ता है।”
दीदी ने यह भी स्पष्ट किया कि बहुत-सी शारीरिक बीमारियों की जड़ें मानसिक होती हैं। जब मन बीमार होता है, तभी शरीर भी धीरे-धीरे रोगग्रस्त होने लगता है।
ब्र. कु. संदीप भाई ने अपने वक्तव्य में मन और शरीर के वैज्ञानिक संबंध को सरल शब्दों में समझाते हुए बताया कि “हम जो संकल्प अपने मन में बार-बार करते हैं, वही शरीर में प्रतिक्रिया के रूप में दिखाई देते हैं।” उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा:
“अगर मन में बार-बार क्रोध आता है तो शरीर की इम्यूनिटी पावर कमजोर हो जाती है।
भय की भावना से किडनी प्रभावित होती है। चिंता करने से पाचन तंत्र कमजोर होता है।
और तनाव की अधिकता से डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।”उन्होंने कहा कि यदि हम अपने मन को नियंत्रित कर लें, उसे पॉजिटिव दिशा में चला लें, तो कई दवाओं की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
यह कार्यक्रम न केवल एक सेमिनार था, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक आरोग्यता की दिशा में एक जागरूकता अभियान भी रहा, जिससे उपस्थित सभी प्रतिभागी लाभान्वित हुए। अंत में ECHS प्रशासन की ओर से कार्यक्रम में आए ब्रह्माकुमारीज़ के प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया गया और आशा व्यक्त की गई कि भविष्य में भी ऐसे उपयोगी व प्रेरणादायक कार्यक्रम होते रहेंगे।





