विक्रांत विश्वविद्यालय में “इंडस्ट्री 5.0 : ह्युमन-सेंट्रिक मैन्युफैक्चरिंग” विषय पर परिचर्चा में बीके प्रहलाद भाई हुए शामिल।
सकारात्मक सोच अर्थात समस्याओं का सामना आशा और आत्मविश्वास के साथ करना।
हमें अपने काम से भी प्यार करना चाहिए और अपनों के लिए भी समय निकालना चाहिए।
ग्वालियर,मध्य प्रदेश। विक्रांत विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एण्ड लर्निंग (ATAL) अकादमी के तत्वधान में चल रही छः दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के चोथे दिन विषय विशेषज्ञों ने एफडीपी के विषय पर विस्तृत चर्चा की।
आयोजित एफडीपी के चोथे दिन के पहले सत्र में आमंत्रित मुख्य वक्ता प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ग्वालियर के वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक एवं मोटिवेशनल स्पीकर श्री बीके प्रहलाद सिंह ने “आर्ट ऑफ़ पॉजिटिव थिंकिंग एण्ड मेडिटेशन फॉर वर्क लाइफ बैलेंस” विषय पर सभी को संबोधित किया।
तो वहीं एफडीपी के दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में आई.आई.टी. रुड़की से प्रो. अक्षय द्विवेदी (विभागाध्यक्ष मिकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग) उपस्थित थे। जिन्होंने “स्किल डेवलपमेंट एण्ड वर्क फोर्स ट्रांसफॉर्मेशन फॉर इंडस्ट्री 5.0” विषय पर एफडीपी के सभी प्रतिभागियों से विस्तार पूर्वक चर्चा की।
एफडीपी के दोनों सत्रों में आमंत्रित विषय विशेषज्ञ एवं मुख्य वक्ताओं का विक्रांत विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. पी एस चौहान ने पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।
प्रथम सत्र में बीके प्रहलाद भाई ने “आर्ट ऑफ़ पॉजिटिव थिंकिंग एंड मेडिटेशन फॉर वर्क लाइफ बैलेंस” (सकारात्मक सोच और ध्यान के आधार से कार्य और जीवन शैली को संतुलित करें) विषय पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम सकारात्मक सोचते है, तो हमारा मस्तिष्क रचनात्मक दिशा में कार्य करता है। जिससे तनाव कम होता है और हमारी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। आज की जीवन शैली में देखने में आ रहा है कि हर व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक कार्य में व्यस्त है, घर परिवार और अपने मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देता है। जिसकी वजह से उसके जीवन तमाम उतार चढाव आते है। यदि ऐसे समय पर सकारात्मक सोचने की कला को जीवन में अपनाते है और नियमित मेडिटेशन करते है तो हमारा जीवन संतुलित होता है।
बीके प्रहलाद ने आगे कहा कि हमें अपने काम से भी प्यार करना चाहिए और अपनों के लिए भी समय निकालना चाहिए। यही जीवन है। आगे उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच अर्थात एक ऐसा मानसिक द्रष्टिकोण जो सदैव अच्छे विचारों पर केन्द्रित है और अच्छे परिणाम की ही आशा करता है। सकारात्मक सोच का मतलब यह नहीं है कि समस्याओं को नजर अंदाज करें बल्कि इसका मतलब है कि समस्याओं का सामना आशा और आत्मविश्वास के साथ करें। चाहे परिस्थितियां कठिन ही क्यों न हो, ऐसा करने पर हम उनका समाधान ढूँढ सकते है।
संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने कहा कि परिवार और दोस्तों के साथ गुणवत्ता भरा समय बिताना चाहिए। ऐसा करने से मन प्रसन्न होता है और तनाव दूर होता है। जब हम किसी बात से परेशान या दुखी होते है तो परिवार और मित्रों से ही भावनात्मक सहारा मिलता है। इससे सकारात्मक माहौल बनता है तथा ख़ुशी और सुरक्षा की महसूसता होती है। कार्य करना जरूरी है, लेकिन रिश्ते जीवन का असली अर्थ देते है। इसलिए रिश्तों को भी महत्व देना जरूरी है।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने वर्क लाइफ बैलेंस के कुछ टिप्स दिए और रचनात्मक एक्टिविटी कराते हुए राजयोग ध्यान के बारे में विस्तार से बताया और ध्यान का अभ्यास भी कराया।
वर्क लाइफ बैलेंस के लिए 5 मुख्य बातें ध्यान में रखें –
– प्रतिदिन ध्यान का अभ्यास करें।
– समय प्रबंधन करें।
– शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
– स्वयं के लिए, परिवार के लिए और भविष्य के लिए धन का प्रबंधन करें।
– अपने परिवार जन और मित्र संबंधियों के लिए भी समय निकले।










