मोहाली,पंजाब : एस.ए.एस. नगर, मोहाली में आज एक साहित्यिक-सामाजिक कार्यक्रम ‘लोक अर्पण एवं विचार-चर्चा समागम’ का आयोजन किया गया, जिसमें वरिष्ठ न्यायविद एवं लेखक श्री एस. के. अग्रवाल, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता न्यायालय एवं सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा रचित हिंदी पुस्तक ‘जब जागो तभी सवेरा’ का लोकार्पण हुआ। यह आयोजन भाषा विभाग, एस.ए.एस. नगर, मोहाली के सहयोग से सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर अनेक प्रतिष्ठित अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. परमजीत सिंह जसवाल, कुलपति, एस.आर.एम. विश्वविद्यालय, सोनीपत उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथियों में सम्मिलित थे: श्री जंग बहादुर गोयल, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एवं प्रसिद्ध लेखक डॉ. मुकेश कुमार अरोड़ा, पूर्व सीनेट एवं सिंडिकेट सदस्य, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, डॉ. दर्शन कौर, भाषा विभाग, मोहाली
इस कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी संस्थान की भी विशेष सहभागिता रही। ब्रह्माकुमारी बहनों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी, प्रभारी, राजयोग केंद्र, मोहाली सर्कल की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए बी.के. रमा दीदी, सह प्रभारी मोहाली सर्कल एवं प्रभारी, रूपनगर केंद्र ने कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों के पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत से हुई।
डॉ. दर्शन कौर ने भाषा विभाग की ओर से सभी अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया।
लेखक श्री एस. के. अग्रवाल द्वारा सभी अतिथियों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।
अतिथियों के विचार:
डॉ. परमजीत सिंह जसवाल ने कहा, “यह पुस्तक सामाजिक और नैतिक चेतना का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो आज के समय में आत्मबोध की आवश्यकता को रेखांकित करती है।”
श्री जंग बहादुर गोयल ने इसे “जीवन के यथार्थ से जुड़ा हुआ लेखन”, बताते हुए कहा कि “पुस्तक पाठकों को गहराई से सोचने और अपने भीतर झाँकने की प्रेरणा देती है।”
डॉ. मुकेश अरोड़ा ने कहा, “‘जब जागो तभी सवेरा’ कानून, नैतिकता और मानवीय संवेदनाओं का समन्वय है, जो युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन प्रदान करेगा।”

बी.के. रमा दीदी ने ब्रह्माकुमारी संस्था की ओर से अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा: “यह पुस्तक आत्म-जागरण की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास है। ब्रह्माकुमारी संगठन का उद्देश्य है — ‘स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन’। आध्यात्मिकता के माध्यम से व्यक्ति को मन की स्पष्टता प्राप्त होती है, जिससे वह समस्या के बजाय समाधान पर केंद्रित हो पाता है।”
सभी ने बीके रमा दीदी के विचारों की बहुत सराहना की।








