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अंबाला शहर: कार्यक्रम का सभी पूज्य संत जनों द्वारा दीप प्रज्वलन से शुभारंभ किया गया

अंबाला शहर,हरियाणा: के जग्गी कॉलोनी स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में राजयोग केंद्र ब्रह्माकुमारी सुप्रीम लाइट हाउस की संचालिका राजयोगिनी बीके दिव्या दीदी और राजयोगिनी बीके मीरा दीदी के नेतृत्व में विराट संत सम्मान सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें उदार हृदय महासंतों एवं विचारकों का विशेष आह्वान किया गया। इस विराट संत सम्मेलन में धर्म संवाद का विषय अध्यात्म द्वारा सनातन संस्कृति की स्थापना पर चर्चा व भगवान की श्रीमत पर अद्भुत नव प्रकाश डालना रहा।
सर्वप्रथम ब्रह्माकुमारी बहनों ने मंच पर उपस्थित सभी महानुभावों का बैज एवं फूल मालाओं एवं पटकों के द्वारा स्वागत किया। तत्पश्चात आयोजित इस कार्यक्रम का सभी पूज्य संत जनों द्वारा दीप प्रज्वलन से शुभारंभ किया गया। इस संत सम्मेलन में 400 से अधिक भाई बहनों ने भाग लिया। इस संत सम्मेलन में पानीपत जिले के सभी मंदिरों के पुजारियों ने भी भाग लिया।

संत सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
आध्यात्मिक एकता: सम्मेलन में आध्यात्मिक एकता पर जोर दिया गया, जिसमें विभिन्न संतों और धार्मिक नेताओं ने अपने विचार साझा किए।

संतों ने जीवन में आध्यात्म की पुर्नस्थापना के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। सभी संतों ने एक स्वर में भारत को स्वर्णिम बनाने और विश्व में शांति स्थापना के लिए संकल्प लिया। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दिव्या दीदी ने कार्यक्रम में मौजूद सभी महानुभूतियों का धूमधाम से स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य वक्ता माउंट आबू से पधारे अंतर्राष्ट्रीय संयोजक राजयोगी बीके रामनाथ भाई ने कहा आचायों, महामंडलेश्ववरों व साधु संतों के त्याग, तपस्या और पवित्रता से ही भारत महान बना है। इस समय भारत को विश्व गुरु माना जा रहा है। उन्होंने बताया जॉर्डन में एंबेसी थीद्ध। वहां एक माता माउंट आबू में दो तीन दफा आई। उनका बेटा हरिद्वार में योग सीखने जा रहा था। उन्होंने हमें मेल किया कि हमारे बेटे को आप राजयोग सिखाओ। केवल भारत नहीं बल्कि सारा विश्व योग राजयोग सीखना चाहता है। सारा विश्व कहता है कि हमारे जीवन में आध्यात्मिकता की कमी है। उन्होंने कहा कि यदि जीवन में उन्नति चाहते हों तो केवल पांच सेकेंड ब्रह्माकुमारीज में राजयोग सीखो। राजयोग बहुत सहज है। जितनी भी आपकी बुद्धि भटकती है, स्थिर हो जाएगी। यह कोई चमत्कार नहीं है,विधि है। वक्ता राजयोगिनी बीके लक्ष्मी दीदी ने कहा देश सबकी मदद करता है। कोरोना में भी अन्य देशों द्वारा वैक्सीन ना मिलने पर भारत ने खुद की दो तरह की वैक्सीन बनाई। उस वैक्सीन को लगभग 100 देशों में मुफ्त में वितरित कर उनकी मदद की। सनातन संस्कृति पशुओं को बहुत प्रेम करती है उन्होंने कहा कि समाज को ऊपर उठाने का काम हमारा संत समाज कर सकता है। भले ही हमारी पूजा की विधि भाषा अलग-अलग हो सकती है, लेकिन हम सब एक पिता की संतान है। आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर, ने कहा इंसान अपना वास्तविक परिचय नहीं जानता हमने ब्रह्माकुमारीज में यही सीखा की आत्मा के जो गुण है। वह परमात्मा से मिलते हैं। ओम शांति का जो मंत्र है वह महामंत्र है।आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने कहा भगवान कहते हैं पहले खुद को जानो। यह दुनिया तीन गुणों से बनी है। रज तम सत। अगर अपने सत गुण को धारण कर लोगे तो दुनिया के दुखों से मुक्ति मिल जाएंगी। सरदार ज्ञानी शेर सिंह ने कहा जिसको ब्रह्म दृष्टि होती है उसे किसी में कोई त्रुटि नजर नहीं आती।
सम्मेलन की विशेषताएं:- प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेताओं की उपस्थिति : सम्मेलन में प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया।
आचार्य महामंडलेश्वर श्री कमल किशोर जी,आचार्य स्वामी श्री राजेश्वरानन्द जी.,आचार्य स्वामी कैलाश स्वरूपानन्द जी महाराज,देवज्ञ महर्षि आचार्य ती निशांत जी,आचार्य श्री सनातन पंत्री चैतन्य जी महाराज,सरदार ज्ञानी शेर सिंह जी,एक स्वामी श्रीअनुभवानन्द गिरिजी महारा,बाबा ठाकुरदास जी महाराज,बी के राजयोगी श्राता रामनाथ जी,बी. के. राजयोगिनी लक्ष्मी दीदी जी,महन्त श्री भीम पुरीजी महाराज

आध्यात्मिक सत्र: सम्मेलन में आध्यात्मिक सत्र आयोजित किए गए, जिसमें ध्यान, योग और आत्म-जागरूकता पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम में मंच का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी शैली दीदी जी और अरविंद भाईजी ने किया । नन्ही बालिकाओं ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में सभी महामंडलेश्वरों एवं संतो को मोतियों की मालाएं एवं दुष्याले पहनाकर और ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया।

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