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भोरा कलां: भारतीय नौसेना रक्षा नागरिकों के लिए तीन दिवसीय आध्यात्मिक सशक्तिकरण का शुभारम्भ

विभिन्न संस्कृतियों के बावजूद भी भारत आध्यात्मिक रूप से एक – रियर एडमिरल आदित्य हारा

  • जीवन में विचारों का है सबसे बड़ा खेल – राजयोगिनी जयंती दीदी
  • भारतीय नौसेना रक्षा नागरिकों के लिए तीन दिवसीय आध्यात्मिक सशक्तिकरण का शुभारम्भ
  • ब्रह्माकुमारीज़ के सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा हुआ आयोजन
  • ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम

भोरा कलां ,गुरुग्राम,हररयाणा। भारतीय नौसेना रक्षा नागरिकों के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार की शुरुआत हुई। कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा भोरा कलां स्थित ओम ओम शांति रिट्रीट सेंटर में आयोजित हुआ। दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का शुभारम्भ किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन सत्र में बोलते हुए भारतीय नौसेना के रियर एडमिरल आदित्य हारा ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य में उत्कृष्टता के लिए आध्यात्मिकता जरूरी है। भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश होते हुए भी आध्यात्मिक रूप से एक है। एडमिरल हारा ने कहा कि आध्यात्मिकता केवल व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि देश की सुख समृद्धि के लिए भी जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान आध्यात्मिक मूल्यों के आधार से विश्व में शांति एवं प्रेम का संचार कर रहा है। एडमिरल हारा ने नौसेना रक्षा नागरिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वो जो कुछ भी यहां सीखें उसे जीवन में जरूर अपनाएं। जीवन में बेवजह खुश रहना सीखें।

इस अवसर पर विशेष रूप से संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जीवन में असली खेल हमारे विचारों का है। शारीरिक स्वास्थ्य से भी जरूरी मानसिक स्वास्थ्य है। क्योंकि तन पर सबसे अधिक प्रभाव मन का ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारा व्यक्तिगत जीवन जितना अच्छा होगा, उतने ही अच्छे ढंग से हम देश व समाज की सेवा कर सकते हैं। बाहरी परिस्थितियों का सामना करने के लिए आंतरिक शक्ति जरूरी है। जो आध्यात्मिक सशक्तिकरण से ही संभव है। राजयोग के माध्यम से ही हमारी आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है।

संस्थान के सुरक्षा सेवा प्रभाग की उपाध्यक्षा राजयोगिनी बीके शुक्ला दीदी ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान ही सच्चा मार्गदर्शक है। आध्यात्मिक सशक्तिकरण से ही मन स्वस्थ एवं खुशहाल रहता है। हमारा वास्तविक स्वरूप बहुत शुद्ध है। उन्होंने कहा कि बाहरी स्वच्छता के लिए तो सरकार भी प्रयास कर रही है। लेकिन अपनी आंतरिक स्वच्छता पर हमें खुद ही ध्यान देना है। आंतरिक स्वच्छता से बाहरी स्वच्छता स्वतः आती है। परिवर्तन का असली आधार अंदर का परिवर्तन है।
भारतीय नौसेना के कैप्टन शिव कुमार ने संस्थान के सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा की जा रही सेवाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन सेना के सेवानिवृत्त कर्नल बीसी सती ने किया। कार्यक्रम में 120 से भी अधिक भारतीय नौसेना रक्षा नागरिकों ने शिरकत की।

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