मुख पृष्ठWingsSocial Service Wingजक्कुर: बेंगलुरु के जक्कुर रिट्रीट सेंटर में दादी प्रकाशमणि जी की 18वीं...

जक्कुर: बेंगलुरु के जक्कुर रिट्रीट सेंटर में दादी प्रकाशमणि जी की 18वीं पुण्यतिथि के पावन अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया

जक्कुर, कर्नाटक । बेंगलुरु के जक्कुर रिट्रीट सेंटर में दादी प्रकाशमणि जी की 18वीं पुण्यतिथि के पावन अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। यह आयोजन दादी जी के जीवन के उन उच्च आदर्शों को याद करने का एक माध्यम था, जिनमें सेवा, त्याग और करुणा सबसे प्रमुख रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन का अर्थ केवल अंधकार दूर करना ही नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर के सुप्त गुणों को जागृत करना भी है। जैसे दीपक अपनी लौ से दूसरों को प्रकाश देता है, उसी प्रकार रक्तदान भी जीवन का अमूल्य दीप है, जो किसी अन्य की जीवन यात्रा को आगे बढ़ाने में सहायक होता है।
इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे – ब्रह्माकुमारी गीता बहन जी,बी.के. पवित्रा बहन जी, ट्रैफिक पुलिस ऑफिसर श्री राजू जी,माननीय जज श्री चंद्रशेखर हूंगुंद,वकील श्री मुन्ना स्वामी नायडू,डॉक्टर शालिनी मैडम,डॉक्टर रमेश जी
सभी अतिथियों ने मिलकर इस पुण्य कार्य का उद्घाटन किया।
गीता बहन जी ने अपने उद्बोधन में रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि – “रक्तदान केवल शारीरिक सेवा नहीं है, यह आत्मिक सेवा भी है। जब हम अपना रक्त किसी जरूरतमंद को देते हैं, तब हम अनजाने में उसका जीवन बचाते हैं। यही सच्ची मानवता और ईश्वरीय सेवा है।”
ट्रैफिक पुलिस ऑफिसर राजू जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर तुरंत रक्त की आवश्यकता होती है। ऐसे में आज के इस शिविर में दान किए गए रक्त की एक-एक बूंद अनगिनत जीवन बचाने का कार्य करेगी। उन्होंने सभी दाताओं को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि “आप वास्तव में समाज के सच्चे हीरो हैं।”
शिविर में विशेष रूप से 75 लोगों ने रक्तदान कर पुण्य का खाता जमा किया। रक्तदान करने वाले सभी दाताओं के चेहरे पर संतोष और खुशी झलक रही थी, क्योंकि यह कार्य केवल किसी और का जीवन बचाने तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मा को आंतरिक संतोष भी प्रदान करता है।
कार्यक्रम का वातावरण बेहद पावन और आध्यात्मिक था। सभी उपस्थित आत्माओं ने बाबा के घर से मिलने वाले सौगात, टोली और ब्लेसिंग कार्ड को प्रसाद स्वरूप स्वीकार किया। यह केवल उपहार नहीं, बल्कि ईश्वरीय शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक था।
डॉक्टरों की टीम ने भी बताया कि रक्तदान से दाता के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि इससे शरीर में नया रक्त बनने की प्रक्रिया तेज़ होती है और दाता खुद को अधिक ऊर्जावान महसूस करता है।
बी.के. लीला बहन जी, बी.के. गीता बहन जी और बी.के. पवित्रा बहन जी ने संयुक्त रूप से कहा कि – “दादी प्रकाशमणि जी का संपूर्ण जीवन सेवा, तपस्या और त्याग को समर्पित था। इस रक्तदान शिविर के माध्यम से हम उनकी पुण्यतिथि पर उनके पावन जीवन से प्रेरणा लेकर सेवा की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।”
शिविर के अंत में सभी ने शांति पाठ कर दादी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। वातावरण में गहन शांति और दिव्यता का अनुभव हुआ।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments