जावद ,मध्य प्रदेश : ‘‘जब व्यक्ति अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर नियंत्रण खो देता है तो उसकी सभी कर्मेन्द्रियां मनमानी करते हुए अनेक एैसे कार्य कर बैठती है जिसका जीवन भर पश्चाताप करना पड़ता है, किन्तु यदि राजयोग मेडिटेशन के आधारमूर्त्त आत्म ज्ञान को समझकर अपना जीवन यापन करें तो न जीवन में कभी तनाव होगा और न ही कोई कर्म एैसा होगा जिसका पश्चाताप करना पड़े ।’’ उक्त विचार ब्रह्माकुमारी संस्थान की सबझोन संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने जावद जेल में उपस्थित लगभग 175 कैदियों के समक्ष व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘ यदि हम अपने मूल स्वरूप आत्मा को समझकर अनुभव कर सकें और सर्वशक्तिवान परमात्मा से बुद्धि का तार जोड़ सकें तो इससे बेहतर और कोई रास्ता नहीं है । जिसपर चलकर अपने जीवन को सुख, शांति सम्पन्न और खुशहाल बना सकते हैं ।’’ बी.के. सविता दीदी ने लगभग 25 मिनिट तक अपनी रनिंग कॉमेन्ट्री से ध्यान के उच्च आध्यात्मिक विचार देकर मेडिटेशन करवाया । जिसमें सभी कैदी लीन हो गए एवं परम आनन्द की अनुभूति की ।
तनाव मुक्ति विशेषज्ञा राजयोगिनी बी.के.श्रुति दीदी ने तनाव के कारण एवं उनके निवारण पर विस्तृत व्याख्या की तथा राजयोग ध्यान पद्धति का दैनिक जीवन में नियमित अभ्यास क्यों जरूरी है इसका महत्व समझाया । सभी कैदी भाई बहनों ने हाथ खड़े कर सुबह शाम कुछ समय निकालकर मेडिटेशन करने का संकल्प धारण किया ।






