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सकारात्मक सोच के साथ नींद व समय के प्रबंधन से दूर होगा तनाव – ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी

सकारात्मक सोच के साथ नींद व समय के प्रबंधन से दूर होगा तनाव – ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदीआयुर्वेदिक कॉलेज के नए बैच के लिए स्ट्रेस मैनेजमेन्ट सत्र का आयोजनदीदी ने छात्रों को आयुर्वेद चुनने की बधाई देते हुए लक्ष्य प्राप्ति के लिए दी प्रेरणाएं
बिलासपुर टिकरापारा :- लक्ष्य प्राप्ति के लिए एकाग्रता व सकारात्मक सोच जरूरी है। इसके लिए मोबाइल में व्यर्थ देखने-सुनने व दैहिक आकर्षण से बचना होगा। इसलिए पहले के समय में 25 वर्ष की उम्र तक ब्रह्मचर्य आश्रम की बात कही जाती है जो विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्व का समय है। मोबाइल सागर की तरह है। इसमें क्या देखना, क्या नहीं देखना ये चुनाव हमारा होता है और इसके लिए दृढ़ संकल्प की शक्ति की आवश्यकता है जो मेडिटेशन और सकारात्मक चिंतन से आएगी। हर कार्य में ईश्वर से मदद लेकर, अच्छे पुस्तकों के अध्ययन से व अच्छे लोगों के सम्पर्क में रहकर हम सकारात्मक विचार प्राप्त कर सकते हैं।
उक्त बातें आयुर्वेदिक महाविद्यालय के नए बैच के छात्र-छात्राओं के लिए स्ट्रेस मैनेजमेन्ट विषय पर आयोजित कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि भगवान से प्यार के साथ सभी से स्नेह का व्यवहार ही मेडिटेशन है चाहे वह व्यक्ति हो, वस्तु हो या हमारे संबंध हों। साथ ही सबको यह भी ध्यान रखना होगा कि बाहरी वातावरण से स्वयं को सुरक्षित रखें।

हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन नकारात्मकता हमारे जीवन में व वातावरण में बहुत बड़े विष की तरह हैं जो हमें कमजोर कर रही है और विद्यार्थी जीवन में तो आलस्य व बेपरवाही भी विष हैं। इसे दूर करने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने में सभी का योगदान जरूरी है। 
दीदी ने बतलाया कि हमें तनाव से मुक्त रहने के लिए समय व नींद का भी प्रबंधन करना होगा। जब हम रात में अधिकतम दस बजे तक सोएंगे तब हम ब्रह्ममुहूर्त में उठ सकेंगे और सुबह उठकर जब हम ध्यान-आसन-प्राणायाम करते हैं तब हम नींद से भी व ध्यान आदि से भी डबल-त्रिपल चार्ज हो जाते हैं और यदि इसके बाद हम पढ़ाई करते हैं तो हमें कम समय में अधिक लाभ मिलता है। जबकि ज्यादातर छात्र इसे नजरअंदाज कर देते हैं और रात में जाग कर पढ़ाई करते हैं। शास्त्र, विज्ञान या ब्रह्माकुमारीज़ की फिलासॉफी तीनों के अनुसार ही प्रातःकाल का समय श्रेष्ठ है और रात जागना प्रकृति के नियमों के खिलाफ है।
दीदी ने आगे कहा कि किसी भी छोटे रोग का उपचार पहले सकारात्मक विचार, आसन, प्राणायाम, ध्यान, घरेलु चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा आदि निःशुल्क व हानिरहित तरीके से करें तत्पश्चात यदि जरूरत हो तब ही होम्योपैथी, आयुर्वेदिक या एलोपैथी दवा की ओर जाएं। क्योंकि आयुर्वेद हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसके खराब असर नहीं होते।
कार्यक्रम के अंत में दीदी ने सभी को जरूरत पड़ने पर निःशुल्क काउंसिलिंग व मार्गदर्शन हेतु सेवाकेन्द्र पर आने के लिए कहा। इसके बाद गीत के माध्यम से एक्यूप्रेशर क्लैपिंग व सूक्ष्म व्यायामों का अभ्यास कराया। प्रियम दीक्षित व शेषकारिणी वर्मा ने पूरे सत्र का संक्षिप्त सारांश सुनाया। इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ. मीनू खरे, सह प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र, आचार्य रजनीश कान्त शर्मा, ब्रह्माकुमारी श्यामा बहन, विक्रम भाई एवं प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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