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अलीराजपुर: शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गीता , ध्यान ,राजयोग विषय पर कार्यशाला का आयोजन

गीता किसी धर्म का शास्त्र नहीं ,मानव जीवन का शास्त्र है- ब्रह्मा कुमार नारायण भाई।

अलीराजपुर, मध्य प्रदेश। वर्तमान समय अगर मानव गीता का अनुसरण कर ले तो जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान गीता में निहित है। गीता हमें जीवन जीने की कला सिखलाती है दृष्टिकोण को पवित्र बनाती है, विचारों में शुद्धता लाती है।जीवन में हर दिन कुछ नया लाता है — कभी आसान राहें, तो कभी कठिन मोड़। पर जो आत्मा जानती है कि हर सीन परफेक्ट है, वही आत्मा हर परिस्थिति में अवसर देखती है। जब कोई बात हमारे मन के अनुसार नहीं होती,
तो हम सोचते हैं — “क्यों हुआ ऐसा?”
लेकिन जब हमारा दृष्टिकोण होता है —
“यह मेरी आत्मिक उन्नति के लिए है”,
तो हम दुःख में भी सीख खोज लेते हैं।हर परिस्थिति हमें कुछ न कुछ सिखाने आती है —
•धैर्य की परीक्षा लेती है
•सहनशक्ति को मजबूत करती है
•नीयत को साफ करती है
और अंत में, हमें और भी उज्जवल बनाती है।सोच ही जीवन की दिशा तय करती है।
आज से यही संकल्प लें
हर परिस्थिति मेरी मदद के लिए आई है,
मैं उसे स्वीकार करता हूँ। आत्मा अपना ही मित्र है और अपना ही शत्रु है अपने विचार को सही दिशा मिलती है गीता से। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला की विशेषज्ञ ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ऑफ कॉलेज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विद्यार्थियों को गीता में ध्यान, साधना ,राजयोग विषय पर संबोधित करते हुए बताया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गीता में अनेक तरह के योग कर्म योग ,सन्यास योग ध्यान योग लेकिन राजयोग सर्वश्रेष्ठ सभी योगों का राजा है जो हमें कर्म इंद्रियों का मालिक बना देता है । राजयोग सीखने के पश्चात फिर कोई भी योग विद्या सीखने की आवश्यकता नहीं है। इसके पश्चात ब्रह्माकुमारी सानिया ने ब्रह्माकुमारी संस्थान का परिचय देते हुए बताया कि यहां जीवन मूल्यों को श्रेष्ठ बनाने की शिक्षा दी जाती है संस्कारों को श्रेष्ठ बनाकर संसार को श्रेष्ठ बनाने का कार्य किया जाता है। यहां हर मानव को देव बनाने की शिक्षा दी जाती है। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रकट करते हुए प्रोफेसर मानसिंह ने बताया की गीता में वर्णित राजयोग का अनुसरण करने से हमारा जीवन महान बनता है गीता किसी धर्म का शास्त्र नहीं है। यह मानव धर्म का शास्त्र है जो हमें अनेक मतभेद भेदभाव से ऊपर उठकर मानव को मानव बनाने की कला सिखलाती है ।कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर सीताराम गोले जी ने किया और बताया कि गीत एक ऐसा शास्त्र है जिसे पढ़ने से हमारी आंतरिक शक्तियां जागृत हो जाती है और हमारा विवेक अर्थात तीसरा नेत्र जग जाता है जिससे जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान होने लगता है। कार्यक्रम के अंत में प्रैक्टिकल राजयोग का अनुभव सभी को कराया गया।

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