नई दिल्ली: देशभर में नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन डे के अवसर पर ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने तथा नागरिकों को सस्टेनेबल भविष्य हेतु ऊर्जा-बचत की आदतें अपनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इसी क्रम में 35 वें नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवॉर्ड्स (NECA) 2025 के अंतर्गत ब्रह्माकुमारी संस्था के जगदंबा भवन, पुणे को ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट, निरंतर और अनुकरणीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। जगदंबा भवन को पूरे भारत से “एनर्जी बचाने के लिए सर्वश्रेष्ठ रेजिडेंशियल यूनिट” की प्रतिष्ठित श्रेणी में यह सम्मान प्राप्त हुआ।
इस गौरवपूर्ण अवसर पर 14 दिसंबर 2025 को भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में ब्रह्माकुमारी जगदंबा भवन, पुणे की डायरेक्टर ब्रह्माकुमारी सुनंदा दीदी को यह राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। यह समारोह भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया था।
जगदंबा भवन को यह राष्ट्रीय पहचान एनर्जी एफिशिएंसी, ऊर्जा के किफायती एवं विवेकपूर्ण उपयोग, रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों को अपनाने तथा इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने हेतु अपनाए गए आधुनिक तकनीकी उपायों के कारण प्राप्त हुई है। ऊर्जा अपव्यय रोकने के लिए बनाई गई प्रभावी योजना और सभी निवासियों की सक्रिय एवं सामूहिक सहभागिता इस सफलता की प्रमुख विशेषताएँ रहीं।
जगदंबा भवन परिसर में सोलर एनर्जी सिस्टम, ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का उपयोग, प्राकृतिक प्रकाश एवं वेंटिलेशन की अधिकतम व्यवस्था के साथ-साथ ऊर्जा संरक्षण पर नियमित अवेयरनेस प्रोग्राम भी संचालित किए जाते हैं। इन प्रयासों से न केवल ऊर्जा की उल्लेखनीय बचत हुई है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी प्रभावी कमी दर्ज की गई है।
यह राष्ट्रीय सम्मान ब्रह्माकुमारी संस्था के ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और मूल्य-आधारित जीवन शैली के विजन को सशक्त रूप से प्रतिबिंबित करता है। यह उपलब्धि इस संदेश को और दृढ़ करती है कि एनर्जी कंजर्वेशन सस्टेनेबल भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो समाज को जागरूकता, जिम्मेदारी और सामूहिक प्रयास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
यह भी कहा गया कि यह राष्ट्रपति पुरस्कार केवल एक संस्था का सम्मान नहीं है, बल्कि यह देशभर के रेजिडेंशियल संस्थानों, सामाजिक संगठनों एवं नागरिकों के लिए ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।






