श्रेष्ठ स्थिति से ही होगा साक्षात्कार

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ज्य़ादातर हमारे सामने सारे दिन में जो बातें आती हैं वो अधिकतर सेम ही होती हैं। इधर कुछ कर दिया, इधर का कुछ सुन लिया। वहाँ का कुछ पता चल गया यह नॉर्मल बातें ही सारा दिन चल रही हैं। जो बड़ी-बड़ी बातें होती हैं उनमें हम बहुत स्थिर रहते हैं। अगर हम सब अपने जीवन काल में देखें जब हमारे जीवन में बड़ी-बड़ी बातें आए तो किसी ने शरीर छोड़ा, कुछ ऐसा बड़ा हुआ तो हमारे संकल्प, हमारी स्थिति बहुत पॉजि़टिव रहती है, उस समय बहुत स्टेबल रहती है। क्यों रहती है,क्योंकि हम हर रोज़ मुरली में सुनते हैं अगर किसी ने शरीर छोड़ा तो ऐसा सोचना है और वह थॉट हमारे अंदर आ जाता है।
अगर कुछ पता चला कि देश में या विश्व में कुछ हुआ है तो ऐसा सोचना है। क्योंकि मालूम है यह होना है लेकिन जो छोटी-छोटी बातें आती हैं उसमें हम गलत सोचते हैं, क्योंकि मुरली में बाबा ने यह नहीं बोला अगर वह बहन ने ऐसा किया तो तुमको ऐसा सोचना है। यहाँ तक कि जब हम मधुबन जाते हैं,बाबा मिलन करते हैं इतना पॉवरफुल एक्सपीरियंस होता है, स्वयं भगवान के सामने हम मिलकर आते हैं, शक्तियों से भर जाते हैं। बाहर आते हैं देखते हैं हमारी चप्पल ही नहीं मिलती है। अब सोचो, करके क्या आ रहे होते हैं और बाहर आकर परिस्थिति कौन-सी होती है। तो चप्पल अगर नहीं मिलती है ना तो कई बार वाय(क्यों) हो जाते हैं बाहर। यह एक रियलाइज़ेशन है कि क्यों चप्पल नहीं मिली और कभी-कभी तो भाई-बहनें तो बाहर जो दूसरी चप्पल पड़ी होती है वही उठाकर पहन कर चले जाते थे, लेकिन मेरी किसी ने ले ली और मैं किसी और की लेकर जा रहा हूँ। हम चले जाते हैं हमें अवेयर नहीं है कि हमने क्या किया! क्या भरकर आए थे, क्या सुन कर आए थे, क्या बनकर आए थे और बाहर आते ही क्या बन गए!
हमें यह अटेंशन देना है कि बाप समान सिर्फ ज्ञान मुरली सुनने-सुनाते समय, योग करने के समय नही हैं, क्योंकि बाबा ने बोला हुआ है कि अंत समय आपका साक्षात्कार होगा सबको और एक मुरली में बाबा ने कहा साधारण कर्म करते हुए साक्षात्कार होगा और उस मुरली में बाबा ने कहा माता घर में पोछा लगा रही होंगी और उसके घर के लोगों को साक्षात्कार हो जाएगा कि हमारे घर में तो कोई देवी रहती हैं। अब जो साक्षात्कार होगा वह चित्र का नहीं होगा, मतलब जो शुरू वाले साक्षात्कार थे वह चित्र के साक्षात्कार थे। उनको सतयुग दिखाई देता था, श्रीकृष्ण दिखाई देता था, सतयुगी देवी-देवता दिखाई देते थे तो ये तो चित्र का साक्षात्कार है, क्योंकि उस समय ज्ञान नहीं था। जब ज्ञान नहीं था, स्थिति नहीं थी, पुरुषार्थ नहीं था तो चित्र का साक्षात्कार हुआ एंड में कौन-सा साक्षात्कार होगा? आपकी स्थिति का साक्षात्कार होगा। वह चित्र का साक्षात्कार था अब चरित्र का साक्षात्कार होगा।
तो वो माता पोछा लगा रही होगी लेकिन उसका हर संकल्प मुरली का संकल्प होगा। उसकी स्थिति अव्यक्त मुरली की स्थिति होगी। वह बाप समान स्थिति में होगी क्योंकि उसके संकल्प सिर्फ वही होंगे। उसके वायब्रेशन से उसके घर के लोगों को साक्षात्कार तो होना ही है। वो रूप साधारण होगा, ड्रेस साधारण होगी, कर्म साधारण होगा लेकिन स्थिति बहुत श्रेष्ठ होगी। वायब्रेशन बहुत ऊंचे होंगे। उनको पता पड़ेगा कि कोई साधारण व्यक्ति नहीं है हमारे घर में। यह तो फरिश्ता हैं, लेकिन ये तभी होगा जब हमारा हर संकल्प, हर कर्म, हमारा व्यवहार बाप समान होगा।

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