मुख पृष्ठब्र.कु. उषाचौबीस घंटे के अन्दर एक घंटा फिक्स कर लें…

चौबीस घंटे के अन्दर एक घंटा फिक्स कर लें…

संगदोष और परचिंतन से बचते हुए बाबा की छत्रछाया का अनुभव करें
कलियुग की ये जो माया है ना, ये माया कईयों की अवस्था को चढ़ाने की बजाय गिरा रही है। और जब ये अवस्था को गिराती है तो महसूस भी नहीं होता है। इसीलिए बाबा ने कहा कि अपनी संगदोष से संभाल करो।

जैसा कि पिछले अंक में आपने पढ़ा कि जब हमारी चालीस परसेंट बहनों ने ये प्रतिज्ञा ली और लिखकर गये कि हम हफ्ते में एक दिन या दो दिन मोबाइल परहेज ज़रूर रखेंगे, चालू ही नहीं करेंगे। उसको स्विच ऑफ करके रख देंगे। महसूस करो उसको और ट्राई करो। अब आगे पढ़ेंगे…
अभी एक 85 साल की माता जी हमारे पास आये थे। आये और बोले कि ज़रा देखिए मेरा व्हाट्सएप्प नहीं चल रहा है। मैंने पूछा, माता जी क्या करना है व्हाट्सएप्प चालू करके? उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी-अच्छी बातें आती हैं उसके अन्दर। आपको क्या मालूम। मैंने कहा कि ये पढ़ते हैं फिर आप योग भी कर सकते हैं या नहीं? तो कहती कि बस यही प्रॉब्लम हो गया है। क्या प्रॉब्लम हो गया है कि जब योग कर रही होती हूँ तो नोटिफिकेशन बजा तो योग टूट जाता है और मन में आता है कि देख लूँ कि क्या आया। फिर बोलती है कि अभी थोड़ा पैसा डाल के उसको चालू करना है। बीच में बंद किया थोड़े दिन और फिर बोले मेरा योग नहीं लग रहा था इसलिए बंद कर दिया था। अगर छोड़ा बीच में उसने दो महीना तो रियलाइज़ेशन हुआ उसका योग लगने नहीं दे रहा है। लेकिन उसके बाद फिर चालू किया दो महीने के बाद उसने, क्योंकि वो मोबाइल के बिना परेशान हो गई। अब आप सोचो कि क्या होता है! तो कहने का भावार्थ यही है कि कलियुग की ये जो माया है ना, ये माया कईयों की अवस्था को चढ़ाने की बजाय गिरा रही है। और जब ये अवस्था को गिराती है तो महसूस भी नहीं होता है। इसीलिए बाबा ने कहा कि अपनी संगदोष से सम्भाल करो।
इसीलिए कहा कि अपने आप को कुछ समय के लिए ही देखो कि हम कितना समय उसकी परहेज कर सकते हैं। चौबीस घंटे के अन्दर एक घंटा फिक्स कर लो देख लो और बंद कर दो वापिस। कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं फिर देखो आप। जहाँ आप समझते हैं कि अभी ज़रूरी है, मेरा कोई कारोबार है, ठीक है साधन है यूज़ करें लेकिन अधीनता न हो। जो आंतरिक स्थिति हमारी परेशान वाली हो जाये और परेशानी के कारण हमें कुछ सूझे ही नहीं। बाबा ही याद न आये। बाबा से हम दूर चले जा रहे हैं ऐसा तो नहीं हो रहा है? बुद्धियोग बाबा के तरफ लगाने की बजाय मेरा बुद्धियोग बार-बार उसके तरफ जा रहा है तो ये भी एक प्रकार का देहअभिमान है। ये भी एक प्रकार का परचिंतन है जो हमारी स्थिति को नीचे गिराता है।

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