गीता पढऩे के बाद दूसरे विषय को पढऩे की आकांक्षा समाप्त हो जाती है-शिव स्वरूपानन्द सरस्वती
गीता जयंती पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में सम्मेलन
आबू रोड, राजस्थान। गीता जयन्ती पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में सम्मेलन आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आये मुख्य अतिथि परमाध्यक्ष श्री श्री 1008 आचार्य पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी शिवस्रूपानंद सरस्वती ने कहा कि गीता को पढऩे के बाद किसी दूसरे विषय को पढऩे की आकांक्षा समाप्त हो जाती है। हम गीता को जीवन में अपना कर ही शांतिमय जीवन के साथ सच्चा संन्यासी बन सकते हैं। वे गीता जयन्ती पर आयोजित सम्मेलन में आये लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। आगे उन्होंने कहा कि अगर और कुछ पढ़ कर संन्यासी बनना चाहते हैं तो वह बाह्य पाखंड ही होगा। हम करीब से जाना है कि ब्रह्माकुमारीज गीता ज्ञान के आधार पर ही संसार की पवित्र संस्था है। यहां बहनें श्वेत वस्त्र में भीतर से अंदर से संन्यासी हैं। यदि सही तरीके से परमात्म ज्ञान को जानना है तो इसके लिए जीवन के मर्म को समझना होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में आने के बाद यह लगता है कि यहॉं गीता का संदेश सही मायने में प्रसारित हो रहा है।
ब्रह्माकुमारीज संस्था के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन ने कहा कि आज तक दुनिया ने गीता ग्रंथ को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों की उपाधि दी है। गीता में भगवान ने काम विकार को महा शत्रु बताया है। लेकिन लोग इसे पढक़र कंफ्यूज होते हैं अगर महाशत्रु है तो हमारा जन्म तो इसी काम विकार से हुआ है। अगर हम गौर से विचार करें तो कामी व्यक्ति को ही पतित कहा जाता है ना कि क्रोधी को लोभी अहंकारी को, क्योंकि भगवान ने सत्तो प्रधान सृष्टि रची थी नई दुनिया बनाई थी लेकिन गीता अनुसार काम विकार रजोगुण से उत्पन्न होते हैं जो आज इस की तमो प्रधानता हो गई है।
रघुनाथ मंदिर आबू पर्वत के वैष्णवाचार्य श्री महंत आचार्य डॉ सियाराम दास ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज सबके जीवन में महाभारत युद्ध छिड़ा हुआ है हर कोई अपने को अर्जुन समझो और अपने जीवन की समस्याओं का संपूर्ण समाधान गीता को जीवन में अपना कर पाएं।
ब्रह्माकुमारीज के वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके ऊषा ने कहा कि परमात्मा का स्वरूप ज्योति बिन्दू है। इसके साथ ही उसे याद करने से सभी मन के विकार समाप्त होने लगते हैं। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज की वरिष्ठ फैकल्टी तथा शिक्षा प्रभाग की उपाध्यक्ष बीके शीलू ने राजयोग के बारे में गहरायी से बताया।
कार्यक्रम में संस्थान के चिकित्सा प्रभाग के सचिव बीके डॉ बनारसीलाल साह, धार्मिक प्रभाग के संयोजक बीके रामनाथ ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही संत महात्माओं को आदर के साथ ईश्वरीय सेवाओं से अवगत कराया। मंच का संचालन दिल्ली से पधारीं बीके सपना के साथ कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।