फरीदाबाद: गीता जयंती पर कार्यक्रम

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फरीदाबाद,हहरियाणा। मुक्ति और जीवन मुक्ति के मार्ग का रास्ता : श्रीमद् भागवत गीता और गीता ज्ञान दाता का सत्य स्वरूप वर्तमान समय धर्म गलानी का समय है। जहां चारों तरफ गीता की चर्चा हो रही है लेकिन गीता जयंती में जयंती किसकी होनी चाहिए ,गीता की या गीता के भगवान की ! वर्तमान में गीता ज्ञान की आवश्यकता क्यों है, इस विषय को लेकर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की फरीदाबाद संजय एनक्लेव सेवा केंद्र द्वारा गीता जयंती पर गीता प्रेमियों का समागम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का आयोजन ब्रह्माकुमारी के संजय एनक्लेव स्थित राजयोग भवन मैं किया गया इस कार्यक्रम में अनेक साधु संतों ने तथा शहर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने लाभ उठाया कार्यक्रम का शुभारंभ परम सत्ता की याद से हुआ हुआ कार्यक्रम में उपस्थित सभी संत महात्मा और अतिथि गणों का तिलक बैच और पटका बनाकर स्वागत किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नंगला दुर्गा मंदिर के पुजारी संत साधु राम जी और और अरावली कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर वंदना बहन जी ने शिरकत की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सेक्टर 15 फरीदाबाद सेवा केंद्र की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रिया जी ने अपने वक्तव्य में गीता ज्ञान के अनेक रहस्य को उजागर किया उन्होंने कहा की गीता की जयंती की बजाए हमें गीता ज्ञान सुनाने वाले की जयंती मनानी चाहिए क्योंकि महिमा तो सुनाने वाले की होती है इसके साथ-साथ उन्होंने लोगों को पांच पांडवों के आध्यात्मिक अर्थ भी बताएं साथ साथ यह भी बताया की गीता ज्ञान की जरूरत आज हम सबको है और हम सब के लिए खुशखबरी कि आज इस कार्यक्रम में हाजिर होकर अपने आप को अर्जुन समान ज्ञान अर्जन करने वाला बना लिया है कार्यक्रम में स्थानीय सेवा केंद्र की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ज्योति दीदी जी ने सभी को गीता जी द्वारा मुक्ति और जीवन मुक्ति का मार्गकैसे पाया जा सकता है इस विषय पर सभी को संबोधित किया उन्होंने उन्होंने सभा में उपस्थित सभी गीता प्रेमियों को यह भी बताया की गीता हमारी हमारी मानसिक और पारिवारिक समस्याओं का समाधान भी है बस केवल हमें अपने सत्य स्वरूप को सत्य स्वरूप को समझकर समझ कर परम सत्ता परम सत्ता से ध्यान लगाना है । मुख्य अतिथि के के रूप में उपस्थित डॉक्टर वंदना जी ने सभी को बताया कि हमें ज्ञान सुनने के साथ-साथ उसे धारण भी करना चाहिए ।समय निकालकर हमें किताबों का भी अध्ययन करना चाहिए उन्होंने यह भी कहा कि हमें केवल आपस में बात करते हैं मस्तक नहीं देखना चाहिए क्योंकि, मस्तक से नीचे देखेंगे नहीं तो हम किसी की बुराई को लेंगे ही नहीं नमस्ते नीचे देखते हैं तो ही हम रंग रूप जाति धर्म मैं फस जाते हैं यही हमारे अंदर बुराइयों का प्रवेश द्वार है । साधु समाज की तरफ से मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महात्मा साधु राम जी ने कहा की पवित्रता देखनी है तो ब्रह्माकुमारी बहनों में इनका खानपान अचार विचार सब पावन है क्योंकि, हमारे विचारों पर भोजन का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । जैसा खाएंगे वैसा रहेगा मन यहां ब्रह्माकुमारी सेंटर पर भोजन और विचार दोनों की पवित्रता पर बहुत जोर दिया जाता है । ब्रह्माकुमारी इस धरती पर देवता समान है कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर ज्योति जलाई  और उसके साथ साथ  सभी को ईश्वरीय सौगात दी गई । शुभम समागम में कल्चर प्रस्तुति भी दी गई कार्यक्रम में  मंच संचालक के रूप में ब्रह्माकुमारी शोभा बहन हाजिर  रही  इस समागम का लाभ सैकड़ों लोगों ने लिया सैकड़ों।


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