समस्या के गीत गाने से समाधान नहीं मिलते

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परिस्थिति, समस्यायें हमें नया अनुभव देती हैं। समस्याओं का रोना रोने के बजाय इस दृष्टिकोण को बदलें और आगे बढ़ें।

परमात्म प्रदत्त मिली खूबियों को अपने में झांके और निहारें। जो कुदरत ने दिया है उन प्राप्तियों को समय प्रति समय उपयोग और प्रयोग में लायें।

कुदरत ने तो आनंद ही आनंद दिया था,
दु:ख तो… हमारी खोज है…

वास्तव में यही सच है कि दु:ख हमारी ही खोज है। बताइये क्या नहीं दिया बाबा ने हम बच्चों को, खाने का भोजन नहीं है, पहनने का वस्त्र नहीं है या सोने को बिस्तर नहीं है? बाबा ने सब कुछ दिया है और अच्छे ते अच्छा दिया है फिर भी आप कहते हो कि वो सुख नहीं, वो प्राप्ति नहीं है। देखो बाबा मिला तो सब कुछ मिला। क्या आप ये महसूस करते हो? बाबा ने हमें वो सबकुछ दिया जो गुरू, साधु, संत व मनुष्य आत्मा हमें कभी दे नहीं सकते। बाबा ने हमें कितने खज़ानों से भरपूर किया है स्मृति तो लाओ ज़रा सभी की। बाबा ने हमें सच्चा सुख दिया, अविनाशी ज्ञान दिया जो 21 जन्म चलेगा, किसी के छिनने से खत्म नहीं होगा, किसी को दान करने से कम नहीं होगा, ये आधाकल्प चलेगा। आप सोचो कि हमारा अंत का जन्म जब इतना श्रेष्ठ है तो पहला जन्म कितना श्रेष्ठ होगा! हम सच में कोई साधारण आत्माएं नहीं हैं लेकिन हम स्वयं को साधारण समझ लेते हैं। हमें परेशान हमारा बीता हुआ कल और आने वाला कल करता है और हमारी अनंत इच्छाएं, कामनाएं करती हैं। अब बीते कल को तो कोई बदल नहीं सकता तो उसकी फिक्र करना तो हमारी अज्ञानता ठहरी।
आने वाले कल्प में हूबहू वही होगा जो कल्प पहले हुआ था, यहाँ आप ड्रामा का पाठ पक्का कर लें और रही बात अनंत इच्छाओं की तो वह स्वत: ही समाप्त होने लगेंगी। जब आपका प्रेम बाबा से बढऩे लगेगा। बाबा से प्रेम बढ़ाने का साधन है बाबा की मुरली। मुरली ही एक ऐसी दवा है जिसमें आत्मा की हर बीमारी का इलाज है, क्योंकि जब आत्मा सूक्ष्म है तो उसकी बीमारी सूक्ष्म है, अब जब हमारी बीमारी सूक्ष्म है तो दवा भी तो सूक्ष्म ही होगी और इलाज करने वाला भी य$कीनन फिर सूक्ष्म ही होगा(शिव बाबा) ना! कई बार हम बच्चे बाबा से गलत उम्मीद लगा लेते हैं जैसे बाबा हमें एक घर दिला दें, संतान को सुधार दें, धंधा अच्छा कर दें, नौकरी लगवा दें ये सभी बाबा हमें देने नहीं आए हैं, बाबा हमारी कोई भी हद की कामना पूर्ण करने नहीं आए। बाबा हम आत्माओं को ज्ञान व गुणों से भरने आयें हैं, आप जितना चाहे उतना ले लें। सरल शब्दों में कहें तो बाबा हमें बेहद का वर्सा देने आए हैं। अब कई बार हम ब्राह्मण आत्माओं की बाबा से शिकायतें बहुत होती हैं जैसे बाबा ये ना हुआ होता तो ये भी न होता, वो ऐसा व्यवहार नहीं करते तो आज ये समस्या भी ना आती, परन्तु जो बीत चुका उसका चिंतन करने से तो कुछ बदलेगा नहीं ना, लेकिन हाँ हमारी शक्ति व समय ज़रूर व्यर्थ चला जाएगा इसलिए बीती को बिंदी लगाओ और आगे बढ़ो, ड्रामा के पट्टे पर स्थिर रहो। समस्या तो आएंगी ही और अंत तक आएंगी क्योंकि जितना-जितना हम बाबा के करीब आते हैं उतनी ही परीक्षाएं बढ़ती जाती हैं।
विद्यालय की याद है ना कि 1,2 कक्षा में 3 परीक्षाएं ही होती हैं हिंदी, अंग्रेजी और गणित की और जब हम हाई स्कूल व इंटर में आ जाते हैं तो परीक्षाएं भी 5,6 होती हैं। पेपर आना अर्थात् आगे बढऩा इसलिए अपनी समस्या से डरना कोई वीरता नहीं है हमारी। याद रखिये परीक्षा नहीं तो उन्नति नहीं। वैसे भी रोना रोने से कभी समस्या का समाधान नहीं मिलता। बाबा अक्सर कहते भी हैं कि पश्चाताप करने से आप प्रायश्चित करो इससे आपकी गलती भी सुधरेगी व समय भी व्यर्थ नहीं जाएगा। गलती करना गलत नहीं है परन्तु गलती को पुन: दोहराना गलत है। एक उदाहरण देते हैं- आपको कोई बीमारी होती है तो क्या आप बैठकर यही सोचते रहते हैं की हाय! मुझे तो फलानी बीमारी हो गयी है या आप डॉक्टर के पास जाते हैं? डॉक्टर के पास जाते हैं ना! अब डॉक्टर भी आपको देखते ही आपका इलाज शुरू करता या सिर्फ यही बोलता है कि – अच्छा आपको बीमारी हो गयी, ये गलत हुआ? इलाज शुरू करता है ना परंतु और फिर आप ठीक हो जाते हैं। और जो डॉक्टर के पास जाते ही नहीं सिर्फ बीमारी के गीत गाते रहते तो वो ठीक भी कभी होते नहीं। बिल्कुल ऐसा ही हिसाब हमारा और हमारी जि़ंदगी के साथ है अगर आप अपनी समस्या का सिर्फ वर्णन कर रहे हैं तो आप कभी भी समाधान नहीं ढंूढ पाएंगे इसलिए अब समस्या पर नहीं समाधान पर जाओ।
आपके समाधान आपको मुरली से मिल सकते हैं, योग में बैठने पर बाबा से टचिंग हो सकती है, आपके साथी, सहयोगी आपको मदद दे सकते हैं, किसी से भी व किसी भी रूप में आपको आपका समाधान मिल सकता है। इसलिए अब अपना दृष्टिकोण बदलें और समस्या की बजाय समाधान पर ध्यान दें जिससे आपकी मुश्किल भी हल होगी और समय का भी आप लाभ ले सकेंगे। बाबा हमें रोज़ नया दृष्टिकोण देते हैं मुरली में, यदि रोज़ हम उसे भी उपयोग मेें लाएं तो आप कुछ दिन में ही ये अनुभव करेंगे की समस्या तो वास्तव में हमारी कुछ थी ही नहीं। भगवान के बच्चे भी समस्याओं के दुबन में फँसे रहेंगे तो अज्ञानी मनुष्य आत्माओं को हल कौन देगा, तनिक विचार करो! इसलिए अब बाबा पर पूरा बलिहार जाओ अपने भविष्य की बागडोर तो बाबा के हाथ में सौंपी ही है परन्तु अपना बीता कल भी पूर्ण रीति से सौंप दीजिए क्योंकि कई बार हमें हमारा अतीत ही इस ज्ञान मार्ग में आगे नहीं बढऩे देता है।

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