मुख पृष्ठलेखब्रह्मा बाबा को हमने हर शिक्षा की प्रतिमूर्ति देखा

ब्रह्मा बाबा को हमने हर शिक्षा की प्रतिमूर्ति देखा

1951 में 11 वर्ष की आयु में मुझे मेरी मौसी द्वारा इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं ब्रह्मा बाबा के बारे में पता चला। क्योंकि मेरी मौसी 1937 से ही इस संस्थान में समर्पित थीं। उनके बताने के पश्चात् मुझे इस बारे में और जानने की जिज्ञासा रहने लगी। फिर 1958 में ब्रह्मा बाबा का दिल्ली में आना हुआ, उस समय मैं कॉलेज में पढ़ती थी। मैंने सेवाकेन्द्र से संपर्क कर बाबा से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। तो मुझे सहर्ष स्वीकृति मिली। कॉलेज से आते समय शाम को मैं सेवाकेन्द्र पर बाबा से मिलने गई तो जैसे ही मैं कमरे में प्रवेश हुई तो सामने ब्रह्मा बाबा चेयर पर बैठे थे। कुछ पल के लिए तो इतना सुंदर दृश्य लगा जैसे ऐसा मैंने पहले कभी देखा नहीं था। बाबा ने मुझे बहुत आदर से अपने समीप कुर्सी पर बिठाया और बहुत प्रेम से बात करनी शुरु की। उससे पहले मैं कई गुरुओं, संत-महात्माओं आदि से भी मिली थी, लेकिन मेरे पर जो प्रभाव ब्रह्मा बाबा को देखने से पड़ा तो मुझे ऐसा लगा कि रूहानियत का मतलब यह नहीं कि जीवन सुचारू न हो, और आध्यात्मिकता का मतलब ये नहीं है कि आपकी रहन-सहन में कोई भी तरह का व्यवस्थित रूप न हो। तो मैंने वहां देखा कि ब्रह्मा बाबा का अपना व्यक्तित्व, जिस तरह के उनके वस्त्र थे, बिल्कुल साफ, स्वच्छ, बेशक बहुत-बहुत साधारण और सिम्पल, लेकिन उसमें इतनी रॉयल्टी थी, इतनी प्यूरिटी थी, तो मैंने अनुभव किया कि उनके जीवन में आध्यात्मिकता और बौद्धिकता का बहुत संतुलन था। उसके बाद पहले-पहले बाबा ने मुझसे मेरे व्यक्तिगत जीवन की जानकारी करने के लिए कि आप क्या करती हैं, कहां पढ़ती हैं, आपकी हॉबी क्या है, आपका जीवन में लक्ष्य क्या है, आप क्या शिक्षा लेती हैं, आपके क्या सब्जेक्ट्स हैं कॉलेज में, तो जैसे बाबा बीस-पच्चीस मिनट तक इस तरह से बात करने लगे। मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मैं ये एक्सपेक्ट नहीं करती थी कि इतनी महान आत्मा इस तरह की बातों में रुचि लेंगी। बाद में बाबा ने मुझे बहुत सारे ब्लेसिंग्स भी दिये।

बाबा हर शिक्षा की प्रतिमूर्ति
दिल्ली में बाबा से इस मिलन के बाद जब मेरा माउण्ट आबू में बाबा के पास आना हुआ तो वहां मैंने देखा कि जो भी शिक्षायें बाबा हम बच्चों को देते थे, वो उसकी एक मूर्ति थे, उदाहरण थे। जहाँ तक मुझे याद है, ऐसा कभी नहीं हुआ कि बाबा ने कोई बहुत बड़े-बड़े डायरेक्शन्स ऐसे सामने से दिये हों। लेकिन बाबा का अपना व्यवहार, बाबा की अपनी चलन, बाबा का चेहरा ऐसा उदाहरण था कि मैं समझती हूँ कि जो कुछ भी शिक्षा हमें मिलती थी तो वो जैसे कि प्रैक्टिकल में सामने एक एग्ज़ाम्पल हमें दिखाई देता था। मुझे याद है कि एक बार हमने देखा कि कोई भाई थे, वो कुछ ले जा रहे थे, उनके हाथ में शायद कुछ बिजली का सामान था। तो वो उनके हाथ से गिर गया। हो सकता है उनका ध्यान कहीं और चला गया हो। तो जो लोग आसपास खड़े थे, कहने लगे अरे तुमसे ये क्या हुआ! लेकिन बाबा बहुत धैर्यता से प्रेम की दृष्टि देते हुए वहां से निकले और उन्होंने कुछ भी कहा नहीं। उसके बाद हम बाबा के कमरे में गये और बाबा से कहा कि आपने तो ऐसे जैसे देखा ही नहीं कि क्या हुआ! तो बाबा ने कहा कि एक तो उससे वस्तु गिरी, तो उस समय वो खुद भी घबरा रहा था, और उसके बाद अगर हम कुछ कहेंगे, तो उसने जानबूझ कर तो नहीं किया। भूल हो गई, वो ड्रामा में नूंध थी। तो जैसे हमने देखा कि बाबा हर बात को, जो भी उनके सामने परिस्थिति आती थी, तो उसमें जो ईश्वरीय ज्ञान है, योग बल और साइलेंस का बल, उसका बहुत प्रयोग करते थे।
मैंने बाबा के अंतिम पूरे वर्ष में ये अनुभव किया कि हम कोई भी विस्तार में बात करते या रिपीट करते थे तो बाबा तुरंत कहते कि बच्चे, बाबा समझ गए, बार-बार क्यों रिपीट करते हो। बाबा के ध्यान पर आ गया। तो जैसे कि बाबा इस सृष्टि में पार्ट बजाते हुए भी ऐसा लगता था कि अपनी सम्पूर्ण स्थिति से, अपनी साकार देह से न्यारे होते जा रहे हैं।
मैं अपना ये सौभाग्य समझती हूँ कि मुझे इतने वर्ष बाबा ने जो कदम-कदम पर शिक्षायें दीं, बाबा मुझे हमेशा कहते थे कि बच्ची तुम विश्व में सेवा करने जाओगी। बाबा ये चाहता है कि तुम्हारी बुद्धि कहीं भी न किसी वस्तु, न किसी व्यक्ति में जाये। मुझे बाबा की वो बात इतनी याद रहती है और दिल से शुक्रिया निकलती है कि आज हम ये कह सकते हैं कि हमारी बुद्धि का सम्बन्ध या योग एक बाबा के साथ ही है। बाबा की ऐसी मधुर शिक्षायें मेरे जीवन के लिए वरदान हो गईं और आज समस्त विश्व की सेवा करने के मैं निमित्त बनी। तो ऐसे प्यारे बाबा के अव्यक्त दिन पर बाबा की मधुर स्मृतियां मानस पटल पर बारंबार आ रही हैं।

राजयोगिनी ब्र.कु. मोहिनी दीदी,अति. मुख्य प्रशासिका,ब्रह्माकुमारीज़

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments