यह अच्छा नहीं है, यह ख्याल आना माना की हुई कमाई खलास कर देना। मैं कहती हूँ जो करना है अब कर लें, जो किया है अच्छा किया है, बाकी और अच्छा क्या करना है! साइलेन्स में बैठे देख रही थी कि अभी हमें और क्या करना है। दुआ, दया, कृपा, आशीर्वाद इन चारों में बहुत अच्छे अनुभवी हैं। सारी लाइफ कभी किसी से झरमुई-झगमुई नहीं की है, यह भगवान की बड़ी कृपा रही है। मैंने कभी इन बातों में अपने को टायर्ड नहीं होने दिया है क्योंकि झरमुई-झगमुई करने से विकर्म विनाश तो नहीं होंगे पर और ही विकर्मों का खाता बढ़ जायेगा इसलिए खबरदार, होशियार, सावधान रहना। तो अन्दर से मेरी भावना है कि अटेन्शन रखो। टेन्शन फ्री। मैं तो टेन्शन नहीं कर सकती हूँ।
यह शरीर भले कितना भी तमाशा दिखाता है, शरीर समझता है इसको जितना सहन करना हो करे, मैं छोडूंगा नहीं। परन्तु आप लोगों के निमित्त इस टाइम मुझे कुछ नहीं है, पूरे दिनभर में कैसे रहती हूँ, कैसे बिताती हूँ फिर भी यह टाइम आपसे मिलाता है। और आप खींचके आ जाते हो तो यह कमरा बहुत अच्छा है। ऐसा कमरा पूरे शान्तिवन में कहीं नहीं मिलेगा। हॉस्पिटल जैसी खटिया होते भी सहनशक्ति चाहिए इस पर सोने की। यहाँ बैठने में सब दर्द भूल गया, है नहीं कुछ। तो यह बाबा फिर मुझे कहता है मैं सर्वशक्तिवान हूँ, तू मेरी बेटी हो ना, मास्टर सर्वशक्तिवान हो ना, तो फिर क्यों कहती हो मैं सहन नहीं कर सकती हूँ। अष्ट शक्तियों में से भी सहनशक्ति, समाने की, समेटने की यह तीन शक्तियां बहुत काम कर रही हैं। इन तीन शक्तियों के पीछे बाकी रही पाँच शक्तियां भी ऑटोमेटिक काम करती हैं। परन्तु मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, याद में ऐसी स्थिति होवे।
अन्तर्मुखी जो होगा वो सदैव सुखी होगा, अन्तर्मुखता से एकाग्रता अच्छी होती है, एकान्त अच्छी लगती है। एकान्त में बाबा से मिलना, बाबा से बातें करना बहुत अच्छा लगता है। बाबा कहता है जो बाबा के गुण हैं वो तुम्हारी सूरत से दिखाई देवें। किसी ने लिखा है कि हमको अपने लाइफ का कदर होगा तो बाबा खुश होगा क्योंकि जैसा कर्म मैं करूंगा मुझे देख और करेंगे। सारी विश्व की सेवायें बाबा ने कैसे की, कराई हैं। सफल करना और सफल कराना यह सब्जेक्ट बड़ी अच्छी है। मेरे पास यह तन भी ऐसा है, मुझे नाटक दिखाता है फिर भी मैं अटकती नहीं हूँ।
तो अभी कोई रूखे नहीं, मीठे बनो, प्यारे बनो तो भगवान खुश हो। तुम भी खुश हम भी खुश। जी खुश तो जहान खुश।